हुजूर, बाजार खोलने की मंजूरी चाहिए, साफ-सफाई की नहीं
कोरोना काल में लॉकडाउन की बंदिशों से मुक्ति की उम्मीद संजोए कारोबारियों को बंदिशों से मुक्ति की उम्मीद है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना काल में लॉकडाउन की बंदिशों से मुक्ति की उम्मीद संजोए कारोबारियों को बेशक, एक झटका और लगा है। दुकानें अब खुल जाएंगी, बाजार अब सज जाएंगे, ..यह ख्वाब संजोए हर रात सोने वाले कारोबारी को हर सुबह मायूसी हाथ लग रही है। न दुकानें खुल रही हैं और न बाजार सज रहे हैं। इसमें दो राय नहीं कि लॉकडाउन का एक अनुशासन होता है और सभी को उसका पालन भी करना होता है, करना भी चाहिए। हालाकि सवाल यह भी खड़ा होता है कि इसका अंत क्या है। जब देश के मुखिया प्रधानमंत्री यह कह चुके हैं कि हमें कोरोना के साथ ही जीना और रहना सीखना होगा तो यह सवाल स्वाभाविक है कि इसकी शुरुआत करने में आखिर दिक्?कत क्?या है। जो काम कल करना है, उसे आज से ही क्?यों नहीं शुरु किया जा सकता। इधर, शुक्रवार को हुए फैसले से आम व्यापारी नाराज है। उनका कहना है, हमें बाजार खोलने की मंजूरी चाहिए, साफ-सफाई की नहीं। हम सुरक्षित व्यापार के हर विकल्प को तैयार हैं। बाजार की बंदी कोरोना का समाधान नहीं है।
शुक्रवार को मेरठ के व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के बीच वार्ता का एक और दौर पूरा हुआ। आम कारोबारियों और व्यापारियों के साथ ही हजारों हजार दुकानदारों को भरोसा था कि कोई रास्ता ऐसा निकाला जा सकेगा कि जिससे बाजार खुल सकें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुकानों को केवल साफ-सफाई के लिए क्षेत्रवार एक दिन खोलने की अनुमति मिली ..और वो भी चंद घटों के लिए।
कई विषय विशेषज्ञों से जब बात होती है तो उनमें एक बात कॉमन होती है कि, आप समस्या के समाधान तक पहुंच पाएं या न पहुंच पाएं लेकिन आप समस्या समाधान के लिए लगातार प्रयासरत हैं, यह दिखना जरूर चाहिए। मेरठ में व्यापारियों और दुकानदारों को मलाल इसी बात का है कि यहा ऐसा होता दिख नहीं रहा। मेरठ में एक्टिव केसों की संख्या हाल के दिनों में गिरते-गिरते अब दहाई अंकों में आ गई है। अगल-बगल के कुछ जिलों अथवा दिल्ली की ही बात करें तो कई जगहों पर निर्देशों व अनुशासन के बीच कुछ बाजार खोले जा रहे हैं। यहा भी क्लस्टर वाइज, आड-ईवेन अथवा दाएं-बाएं पटरी की दुकानों को सम-विषम तिथियों में खोला जा सकता है, प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए। अब, थोड़ा जिक्र उन छोटे-मझोले दुकानदारों का भी, जिनका कई सामान दो महीने से दुकान में बंद पड़े रहने के कारण खराब हो गया। लॉकडाउन के बीच उसपर दुकान किराए की मार, बिजली बिल की मार, कर्मचारियों के पगार की मार, ..और कोढ़ में खाज यह कि बाजार बंद। इसे अगर, कंटेंनमेंट जोन के बाहर स्थित चार वार्डो में चल रहे कुछ उद्योगों से जोड़कर देखें तो कई का दर्द सामने आ जाता है। अभी तक अपनी फैक्ट्री न खोल पाने वाले कई लोगों का कहना है कि हम बना तो लें सामान, ..लेकिन बेचें कहा। सामान बिकने के लिए बाजार का होना पहली शर्त है, और मेरठ में बाजार बंद है।
बहरहाल, एक मंच पर खड़े होकर दमदारी से अपनी बात कहने में चूक रहे व्?यापारिक संगठनों के गुट इस बात से खुश हो सकते हैं कि उन्हें दुकान साफ करने का मौका मिल गया लेकिन इन संगठनों को उन दुकानदारों की फिक्र जरूर करनी चाहिए जिनका अब तक पाकेट साफ हो चुका है।
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बंदी नहीं, सुरक्षित व्यापार का रास्ता खोजे प्रशासन
बाजार खुलने चाहिए। जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें कोरोना के साथ जीना होगा तो हमें कामकाज की शुरुआत भी करनी होगी। आज चाहे कल, फिर शुरुआत आज से क्यों न की जाए। बाजार न खोलने का कासेप्ट छोड़ सुरक्षित ढंग से किस तरह बाजार खुले, इसपर निर्णय लेना होगा। अगर हालात बिगड़ने लगे तो बंदी का विकल्प तो हमेशा प्रशासन के हाथ में है ही।
- सरदार राजबीर सिंह, संयुक्त सचिव, आबूलेन व्यापार संघ
बाजारों की साफ-सफाई की मंजूरी तो व्यापारियों के साथ मजाक है। संघ के दोनों गुट इसी पर भले संतुष्ट हों, हम व्यापारी नहीं। अगर हालात बुरे हैं तो कर्फ्यू लगाइए। क्या कोरोना केवल दो दिन अटैक करता है, जो दो दिन की पूर्ण बंदी की जा रही है। बाजार खुलेंगे तो सफाई खुद हो जाएगी। व्यापारी का धैर्य अब जवाब देने लगा है।
- पुनीत शर्मा, महामंत्री, बेगमपुल व्यापार संघ
प्रशासन व्यापारियों से बाजार खोलने और उसके बाबत सुरक्षित व्यापार चलाने के विकल्पों पर बात कर धीरे-धीरे शुरुआत करे। व्यापारी हर तरह से मदद को तैयार है, लेकिन वह बंदी कब तक झेलेगा। अब लोगों को अवसाद घेरने लगा है। बाजार शुरू नहीं हुए तो इसके दुष्परिणाम आने लगेंगे। हमें भी अपनी और अपने ग्राहक की पूरी चिंता है। सुरक्षित व्यापार का हम हर रास्ता निकालेंगे।
- संजय गोयल, अध्यक्ष, पीएल शर्मा रोड व्यापार संघ
संयुक्त व्यापार संघ से हम इतर हैं। हम दूसरों की तरह उतावले नहीं हैं। हमें दुकानों की साफ-सफाई की मंजूरी से भी अभी कोई लेना-देना नहीं है। हालात जब ठीक होंगे और स्थिति नियंत्रण में हो जाएगी तो हम बाजार खोलेंगे। हमें अपने ग्राहकों पर पूरा भरोसा है। हमारे ग्राहक हमारे साथ कल भी थे, कल भी बने रहेंगे।
- किशोर बाधवा, अध्यक्ष, शास्त्रीनगर संयुक्त व्यापार संघ।