दिल को दांव पर लगाकर सर्दी से लड़ रहा है शरीर, जानिए लक्षण और बरतें यह सावधानियां
ठंड का मौसम दिल पर भारी पड़ रहा है। हार्ट पर लोड बढ़ने से बड़ी संख्या में अटैक एवं फेल्योर के मरीज अस्पतालों में पहुंचे। आक्सीजन की कीमत पर शरीर ने तापमान गंवाया।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। शरीर अपना बचाव खुद करता है, किंतु सर्दी में ये दिल पर ही भारी पड़ गई। गर्मी बरकरार रखने के लिए शरीर ने नसों में सिकुड़न और खून में गाढ़ापन बढ़ाया। हार्ट पर लोड बढ़ने से बड़ी संख्या में अटैक एवं फेल्योर के मरीज अस्पतालों में पहुंचे। आक्सीजन की कीमत पर शरीर ने तापमान गंवाया। उधर, छाती में संक्रमण से भी हार्ट फेल्योर के मरीज बढ़ गए। चिकित्सकों का कहना है कि जिनके लिए संभव है, उन्हें सर्दियों में मध्य भारत में रहना चाहिए।
गर्मी बचाने के लिए सिकुड़ीं नसें
हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दी में प्लेटलेट में चिपचिपापन बढ़ा। रात का पारा लगातार पांच डिग्री के आसपास रहने से शरीर की थर्मोरेग्यूलेशन प्रक्रिया प्रभावित हुई। इस प्रक्रिया के जरिए शरीर स्वयं अपने तापमान का नियंत्रण करता है। दिल की नसों में संकरापन से बड़ी संख्या में रात में मरीजों में हार्ट अटैक पड़ा। गर्मी में डिहाइड्रेशन, जबकि सर्दी में शरीर गर्मी बचाने के लिए खून का गाढ़ापन बढ़ा लेता है। दोनों स्थितियां हार्ट के लिए खतरनाक हैं।
ठंडी हवा ने भी किया दिल फेल
सर्द हवा ब्लडप्रेशर बढ़ा देती है। जिनके हार्ट की ताकत कम है, उनके फेफड़ों में पानी भरने से सांसें फूलती हैं। दिल की पंपिंग 60 फीसद के बजाय 30-40 फीसद होने पर हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ रहा, ऐसे में हार्ट फेल्योर बढ़ा।
ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण
पेट में नाभि के आसपास से दर्द उठकर हाथ, कंधे, जबड़ा, कान में पहुंचता है। शुगर के मरीजों में सांस की घुटन व पसीना आने के लक्षण मिलते हैं। इसमें सार्बिट्रेट एवं डिस्परिन की गोली से खास आराम नहीं मिलता, क्योंकि नस पूरी तरह बंद थी।
एंजाइना पेन : जब दिल की नस 90 फीसद तक बंद होती है। इसमें सार्बिट्रेट दवा जीभ के नीचे रखने पर तत्काल असर होता है।
ये हैं दिल की बीमारियां
हार्ट अटैक : इसमें नस पूरी तरह बंद हो जाती है।
हार्ट फेल : इसमें दिल का पंप फेल हो जाता है।
सडेन कार्डियक अरेस्ट : इसमें हार्ट रुक जाता है।
मानिए डॉक्टर की सलाह
ठंडी हवा में सांस लेने पर ब्लड में आक्सीजन पहुंचकर खून की गर्मी बाहर रिलीज करने लगती है। ऐसे में नसों में सिकुड़न से हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ा। दिल व बीपी के मरीज दवा नियमित खाएं। धूप के बाद ही घर से निकलें। जिन्हें पहले अटैक पड़ा हो या दिल फैला हो, वो फ्लू व निमोनिया का वैक्सीन लगवाना चाहिए।
- डा. राजीव अग्रवाल, हृदय रोग विशेषज्ञ
दशकभर में इस वर्ष हार्ट अटैक एवं हार्ट फेल्योर के सर्वाधिक मरीज आए। सर्दी में खून का तापमान बरकरार रखने के लिए नसें सिकुड़ती हैं। खून का गाढ़ापन बढ़ने से भी अटैक पड़ा। इमरजेंसी कार्डियक किट घर में रख सकते हैं। सर्द हवा में बाहर न घूमें। चिकनाईयुक्त भोजन छोड़ें।
- डा. संजीव सक्सेना, हृदय रोग विशेषज्ञ