कुंभ स्नान को लेकर हाई अलर्ट, अब नहीं कर पाएंगे गंगा मैली
नमामि गंगे के तहत पीएमओ में बना नया सेल, पश्चिमी उप्र की इकाइयों पर नजर। पब्लिक पोर्टल पर भी जारी होंगे प्रदूषण के आंकड़े।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 12:11 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 12:11 PM (IST)
मेरठ (संतोष शुक्ल)। गंगा नदी में प्रदूषण उड़ेलने वाली औद्योगिक इकाइयों की मॉनिटरिंग सीधे पीएमओ करेगा। नमामि गंगे के तहत पीएमओ में बनाए गए सेल को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर से जोड़ा गया है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषण की हर समय पड़ताल की जाएगी। इफिलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) पर उच्च क्षमता के वेब कैमरे लगाए जा रहे हैं। साथ ही प्रदूषणकारी इकाइयों की रिपोर्ट को पब्लिक पोर्टल पर भी डिस्प्ले करने की तैयारी है।
पीएमओ में बना मॉनिटरिंग स्टेशन
प्रयागराज में कुंभ स्नान के दौरान औद्योगिक उत्प्रवाह को गंगा या सहायक नदियों में गिराने पर रोक लगाई गई है। पीएमओ में भी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाया है, जहां पश्चिमी उप्र के औद्योगिक उत्सर्जन की पल-पल की जानकारी मिलेगी। पेपर मिल, रासायनिक इकाइयों, चीनी मिलों व प्रोसेसिंग इकाइयों समेत बड़ी कंपनियों की ईटीपी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आनलाइन जोड़ा गया है। गंगा नदी की सफाई के लिए ईटीपी पर उच्च क्षमता के वेब कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिन्हें यूआरएल के जरिए बोर्ड से लिंक किया जाएगा। इसमें हर क्षण की रिपोर्ट आनलाइन जारी होगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही पीएमओ स्थित निगरानी सेल में उद्योगों के उत्सर्जन की पूरी जानकारी मिलेगी। सरकार ने उद्योगों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण को पब्लिक पोर्टल पर जारी करने की योजना बनाई है।
ये हैं गंगा में प्रदूषण के बड़े स्रोत
मेरठ के नालों से बड़ी मात्रा में कचरा काली नदी ईस्ट में गिरता है, जो गंगा की सहायक नदी है।
-आबू नाला-1 से रोजाना 50 एमलडी कचरा निकलता है। नौ औद्योगिक इकाइयां हैं। चार एसटीपी लगी है, किंतु शोधन क्षमता सिर्फ 34 एमएलडी है। एक इेलेक्ट्रोप्लेटिंग, दो केमिकल, एक आटोमोबाइल, दो-दो टेक्सटाइल्स व शुगर की इकाइयां हैं।
-आबू नाला-2 से रोजाना 188 एमएलडी कचरा निकलता है। तीन एसटीपी से सिर्फ 15 एमएलडी शोधन होता है। इसमें डिस्टिलरी व टेक्सटाइल्स की इकाइयां हैं।
-ओडियन नाला से रोजाना 140 एमएलडी कचरा उत्सर्जित हो रहा है, जिसमें सात मीट प्लांट एवं प्रोसेसिंग कारोबार वाली यूनिट हैं। एसटीपी द्वारा सिर्फ दस एमएलडी कचरा शोधित हो रहा है।
-छोइया नाला से रोजाना 86 एमएलडी वेस्टेज निकलता है। इसमें दो चीनी मिलें, एक डिस्टिलरी व पेपरमिल है।
-कादराबाद नाले से रोज 95 एमएलडी कचरा निकल रहा है। 27 में 13 इकाइयां टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़ी हैं। पेपर, मेटल एवं चीनी की दो-दो मिलें हैं।
इन्होंने कहा--
सभी औद्योगिक इकाइयों को आनलाइन मॉनिटङ्क्षरग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। यूआरएल के जरिए उत्सर्जन की स्थिति कहीं से देखी जा सकती है। नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार अलग से भी पीएमओ के जरिए प्रदूषणकारी इकाइयों की निगरानी कर रही है।
आरके त्यागी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
गंगा की सहायक नदियों को साफ करना ज्यादा जरूरी है। नमामि गंगे में चयनित होने के बावजूद काली नदी की सफाई का गंभीर प्रयास नहीं हुआ। ईटीपी की सेटेलाइट निगरानी ठीक है, किंतु नालों पर एसटीपी-सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना भी जरूरी है।
रमन त्यागी, नीर फाउंडेशन
पीएमओ में बना मॉनिटरिंग स्टेशन
प्रयागराज में कुंभ स्नान के दौरान औद्योगिक उत्प्रवाह को गंगा या सहायक नदियों में गिराने पर रोक लगाई गई है। पीएमओ में भी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाया है, जहां पश्चिमी उप्र के औद्योगिक उत्सर्जन की पल-पल की जानकारी मिलेगी। पेपर मिल, रासायनिक इकाइयों, चीनी मिलों व प्रोसेसिंग इकाइयों समेत बड़ी कंपनियों की ईटीपी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आनलाइन जोड़ा गया है। गंगा नदी की सफाई के लिए ईटीपी पर उच्च क्षमता के वेब कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिन्हें यूआरएल के जरिए बोर्ड से लिंक किया जाएगा। इसमें हर क्षण की रिपोर्ट आनलाइन जारी होगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही पीएमओ स्थित निगरानी सेल में उद्योगों के उत्सर्जन की पूरी जानकारी मिलेगी। सरकार ने उद्योगों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण को पब्लिक पोर्टल पर जारी करने की योजना बनाई है।
ये हैं गंगा में प्रदूषण के बड़े स्रोत
मेरठ के नालों से बड़ी मात्रा में कचरा काली नदी ईस्ट में गिरता है, जो गंगा की सहायक नदी है।
-आबू नाला-1 से रोजाना 50 एमलडी कचरा निकलता है। नौ औद्योगिक इकाइयां हैं। चार एसटीपी लगी है, किंतु शोधन क्षमता सिर्फ 34 एमएलडी है। एक इेलेक्ट्रोप्लेटिंग, दो केमिकल, एक आटोमोबाइल, दो-दो टेक्सटाइल्स व शुगर की इकाइयां हैं।
-आबू नाला-2 से रोजाना 188 एमएलडी कचरा निकलता है। तीन एसटीपी से सिर्फ 15 एमएलडी शोधन होता है। इसमें डिस्टिलरी व टेक्सटाइल्स की इकाइयां हैं।
-ओडियन नाला से रोजाना 140 एमएलडी कचरा उत्सर्जित हो रहा है, जिसमें सात मीट प्लांट एवं प्रोसेसिंग कारोबार वाली यूनिट हैं। एसटीपी द्वारा सिर्फ दस एमएलडी कचरा शोधित हो रहा है।
-छोइया नाला से रोजाना 86 एमएलडी वेस्टेज निकलता है। इसमें दो चीनी मिलें, एक डिस्टिलरी व पेपरमिल है।
-कादराबाद नाले से रोज 95 एमएलडी कचरा निकल रहा है। 27 में 13 इकाइयां टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़ी हैं। पेपर, मेटल एवं चीनी की दो-दो मिलें हैं।
इन्होंने कहा--
सभी औद्योगिक इकाइयों को आनलाइन मॉनिटङ्क्षरग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। यूआरएल के जरिए उत्सर्जन की स्थिति कहीं से देखी जा सकती है। नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार अलग से भी पीएमओ के जरिए प्रदूषणकारी इकाइयों की निगरानी कर रही है।
आरके त्यागी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
गंगा की सहायक नदियों को साफ करना ज्यादा जरूरी है। नमामि गंगे में चयनित होने के बावजूद काली नदी की सफाई का गंभीर प्रयास नहीं हुआ। ईटीपी की सेटेलाइट निगरानी ठीक है, किंतु नालों पर एसटीपी-सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना भी जरूरी है।
रमन त्यागी, नीर फाउंडेशन
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