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अरे, नीरज जी थप्पड़ भी जड़ देते थे!

मेरठ कालेज की राजनीति का शिकार हुए थे गोपाल दास नीरज। झूठे इल्जाम के चलते ¨हदी के प्रवक्ता पद से दिया था इस्तीफा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 12:10 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 12:58 PM (IST)
अरे, नीरज जी थप्पड़ भी जड़ देते थे!
अरे, नीरज जी थप्पड़ भी जड़ देते थे!

मेरठ (राजन शर्मा)। शोखियों में फूलों का शबाब घोलकर प्यार करने का हुनर सिखाने वाले गोपाल दास नीरज को मेरठ कालेज में अपने किरदार के उलट इल्जाम झेलने पड़े थे। अपनी गुनगुनाहट से कलियों को पागल कर देने वाले इस चितेरे पर आरोप लगा था कि वह छात्रों को थप्पड़ जड़ देते हैं। इससे दुखी होकर नीरज ने हिंदी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया था।

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मेरठ की धरती नीरज की शुरुआती जिंदगी के संघर्षो की साक्षी है। मेरठ में उन्हें भरपूर प्यार मिला, लेकिन उनके साथ यहा की एक दिलचस्प और कुछ कड़वी याद भी जुड़ी है। दरअसल, यह अलमस्त फकीर भी शिक्षा विभाग व कालेजों में आमतौर पर होने वाली राजनीति का शिकार हो गया था। बात सन् 1943 की है। उस वक्त नीरज जिंदगी की राह तलाश रहे थे। इसी दौरान दिल्ली में उनकी मुलाकात मेरठ के इंद्रिय दमन रस्तोगी से हुई। उनके आग्रह पर वह एक कवि सम्मेलन में शिरकत करने मेरठ आए। इसके बाद वह कुछ दिन मेरठ कालेज के छात्रावास में रहे। मेरठ की आबोहवा नीरज को ऐसी रास आई कि वह यहा अक्सर आने लगे। शहर के नामचीन लोगों से उनका राब्ता कायम हो गया। सन् 1955 में वह मेरठ कालेज में ¨हदी के प्रवक्ता नियुक्त किए गए। नीरज कालेज में पढ़ाते और बाकी वक्त गीत गढ़ते। कालेज से लेकर शहर की तमाम गलियों में उनके गीत जाफरान सी खुशबू बिखेरने लगे। इस मसरूफियत के चलते नीरज कालेज की राजनीति से अनजान रहे। उनकी लोकप्रियता से चिढ़कर व किसी और को आगे बढ़ाने के लिए कालेज में उनके खिलाफ माहौल बनाया जाने लगा। प्रबंध समिति से नीरज जी की अनर्गल शिकायत की गई। गीतों के राजकुमार पर इल्जाम लगाया गया कि वह छात्रों को थप्पड़ मार देते हैं। गाली-गलौच करते हैं। नीरज बताया करते थे कि इस मुश्किल घड़ी में कालेज समिति के दिग्गज राजाराम मित्तल, कमला चौधरी और देवीशरण रस्तोगी जैसे स्नेहीजन उनके पक्ष में खड़े हो गए थे। जाच के दौरान उन पर लगाए इल्जाम झूठे साबित हुए, लेकिन नाजुक मिजाज नीरज इस वाकये से इतने व्यथित हुए कि उन्होंने मेरठ को अलविदा कह दिया। नीरज की इस कथित बदनामी को भुलाने में मेरठ के बाशिदों को तो सदिया नहीं लगीं, लेकिन गोपाल दास इस वाकये को ताउम्र चटकारे लेकर सुनाते रहे। मेरठ उनके पसंदीदा शहरों में रहा। मेरठ, वेंकटरमण और नीरज

27 जनवरी 2009 को मेरठ में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शिरकत करने नीरज मेरठ आए थे। इसी दिन पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण का निधन हो गया। इसके चलते कवि सम्मेलन निरस्त कर दिया गया। उस वक्त नीरज ने दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति के निधन से उन्हें व्यक्तिगत झटका लगा है, क्योंकि उनके हाथों से ही उन्होंने पद्मश्री ग्रहण किया था।


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