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मेरठ: हेल्परों को मेडिकल कालेज में बना दिया था डाक्टर, सीएम योगी तक पहुंचा मामला

मेडिकल कालेज में डाक्टरों द्वारा हेल्परों को एप्रिन पहनाकर डयूटी कराने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। एडवोकेट आदेश प्रधान ने जिलाधिकारी को पत्र लिख शिकायत की है वहीं सीएम योगी के साथ ही प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं डीजी हेल्थ को ट्वीट किया है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 02:35 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 02:35 PM (IST)
मेरठ: हेल्परों को मेडिकल कालेज में बना दिया था डाक्टर, सीएम योगी तक पहुंचा मामला
हेल्परों को मेडिकल कालेज में बना दिया था डाक्टर।

मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कालेज में डाक्टरों द्वारा हेल्परों को एप्रिन पहनाकर डयूटी कराने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। एडवोकेट आदेश प्रधान ने जिलाधिकारी को पत्र लिख शिकायत की है, वहीं सीएम योगी के साथ ही प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं डीजी हेल्थ को ट्वीट किया है। अखबार में छपी खबर की कटिंग के साथ आदेश ने ट्वीट किया है और जांच की मांग की है। साथ ही इनपर कार्रवाई करने गुहार लगाई है।

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आदेश ने लिखा है कि यह मरीजों के साथ भयावह व्यवहार किया गया है। अनट्रेंड लोग कैसे इलाज कर सकते हैं। अन्य कई संगठनों ने प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह एवं जिलाधिकारी के. बालाजी को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। उधर, प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने एक बार फिर सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर स्थिति साफ करने को कहा है। इमरजेंसी से लेकर अन्य कई विभागों में बाहरी लड़के डयूटी कर रहे थे, जिन्हें डाक्टरों ने अपने तरीके से रखा था। प्राचार्य ने कर्मचारियों के एक डेलीगेशन के साथ मीटिंग कर उनसे भी फीडबैक लिया है।

जांच में हुआ था खुलासा

मेडिकल कालेज के मेडिकिसन सर्जरी, इमरजेंसी एवं आथरे‍पेडिक्‍स विभाग में बाहरी लड़कों को ड्यूटी पर लगाने की जानकारी मिली थी। जिसकी जब जांच हुई तो जानकारी हुई कि कुछ डाक्‍टरों ने कर्मचारी रखे हुए थे। जो कईयों का इलाल कर चुके थे। एक महिला से छेड़छाड़ के बाद मामला सामने आया तो विभागध्‍यक्ष और प्राचार्या के कान खड़े हो गए। जिसके बाद जांच कराई जा रही है। इस मामले में पुलिस ने आरोपितों को पकड़ा है। लेकिन लापरवाही के कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

नाक के नीचे चल रहा था सारा खेल

डाक्‍टरों व मेडिकल कालेज के पदाधिकारियों के नाक के नीचे से सारा खेल चल रहा था। लेकिन इसकी भनक नहीं लगी, विभागों में कार्यों के जांच के बाद भी ये पकड़े नहीं जा सके। जिन डाक्‍टरों ने कर्मचारी रखे थे, उन्‍होंने भी इस खेल का कभी खुलासा नहीं किया था।  


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