Cold effect : भले ही आपने मोटी जैकेट पहनी हो लेकिन जानिए कैसे सिकुड़ रहीं हृदय और सांस की नलियां
इनदिनों गरम कपड़े शरीर को सर्दी से जरूर बचाते हैं लेकिन ठंडी हवा सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर खून की गर्मी कम कर देती है। इनका बचाव भी जरूरी है।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। मोटी जैकेट पहनकर ठंडी हवा में घूमने वाले किसी भ्रम में न रहें। गरम कपड़े शरीर को सर्दी से जरूर बचाते हैं, लेकिन ठंडी हवा सांस के जरिए शरीर में पहुंचकर खून की गर्मी कम कर देती है। ठंडी हवा से खून में प्लेटलेट चिपचिपाने लगती हैं, वहीं सांस की नलियों में सिकुड़न से ब्रांकाइन स्पाज्म की भी बीमारी बढ़ रही है। सर्द हवा में हार्ट की आर्टरी सिकुड़ने से अटैक के मरीजों की तादाद बढ़ी है।
हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा
चिकित्सकों का कहना है कि गर्म कपड़े सिर्फ शरीर को ठंड से बचाते हैं, लेकिन ठंडी हवा सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून की गरमी बाहर निकालने लगती है। इन्हीं कारणों से मुंह से भाप निकलती है। सर्द हवा से रक्तचाप बढ़ने के साथ ही हार्ट की आर्टरी सिकुड़ती है। इस वजह से सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। गर्मियों की तुलना में कई गुना मरीज हृदय रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इसीलिए ठंडी हवा में अचानक घर से बाहर नहीं निकलने के लिए कहा जाता है।
धूलकणों से ज्यादा एलर्जी करती है ठंडी हवा
सर्द हवा धूलकणों और धुएं की तुलना में ज्यादा एलर्जी करती है। सांस की नलिकाओं की मेंब्रेन ठंडी हवा के प्रति सेंसटिव होती है, जिसके रिएक्शन में सूजन भी बनता है। इस वजह से ब्रांकाइल स्पाज्म की बीमारी बढ़ी है। ठंडी हवा में अस्थमा के मरीजों की एलर्जी तेजी से बढ़ती है। कई मरीजों में सांस का अटैक तक देखा गया। सीओपीडी के मरीजों को भी परेशानी हुई। सामान्य लोगों में भी आक्सीजन की कमी हो सकती है।
गुनागुना पानी पीते रहें..खुलती है सांस की नली
मेडिकल कॉलेज के फिजीशियन डा. अरविंद का कहना है कि गरम पानी पीने से गले में संक्रमण एवं सांस के मरीजों को भी फायदा होता है। अगर नमक-पानी का गरारा करें तो फ्लू के वायरस फेफड़े तक नहीं पहुंच पाते। ऐसे में निमोनिया से बचाव हो सकता है। गले में सूजन और दर्द में भी राहत मिलती है। खाने की नली के पीछे सांस की नली होती है। गरम पानी पीने पर खाने की नली में भी गरमी पहुंचती है।
इनका कहना है
ठंडी हवा फेफड़ों में पहुंचकर प्लेटलेट को चिपचिपा बनाती है। आर्टरी सिकुड़ने से हार्ट अटैक हो सकता है। सर्दियों में पसीना न निकलने की वजह से बीपी बढ़ता है। अगर बीपी के मरीज हैं तो चिकित्सक से मिलकर दवाओं की डोज नए सिरे से तय कराएं। ठंडी में सूरज निकलने के बाद ही बाहर जाएं।
- डा. राजीव अग्रवाल, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ
ठंडी हवा धूलकणों और परागकणों से भी ज्यादा एलर्जी करती है। यह सांस की नलिकाओं में सिकुड़न बढ़ाती है। सर्द हवा में अस्थमा के मरीजों को ज्यादा सावधान रहना चाहिए। बार-बार गुनगुना पानी पीएं।
- डा. अमित अग्रवाल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ
बच्चे वयस्कों की तुलना में ज्यादा सांस लेते हैं, इसलिए उन्हें ठंड जल्दी लगती है। सर्द हवा में बच्चों का कान ढककर ही बाहर निकलें। हर तीसरे-चौथे बच्चे में सांस की एलर्जी और अस्थमा का लक्षण है, ऐसे में ठंडी हवा से सांस का अटैक बढ़ा है।
- डा. विजय जायसवाल, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विशेषज्ञ