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'स्टेंट लगा है तो हर हाल में डेंगू से बचें'

-स्टेंट के मरीजों की बंद करनी पड़ रही दोनों दवाएं, बन सकता है थक्का स्टेंट लगवाने वाल

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Oct 2017 02:18 AM (IST)Updated: Sat, 21 Oct 2017 02:18 AM (IST)
'स्टेंट लगा है तो हर हाल में डेंगू से बचें'
'स्टेंट लगा है तो हर हाल में डेंगू से बचें'

-स्टेंट के मरीजों की बंद करनी पड़ रही दोनों दवाएं, बन सकता है थक्का

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स्टेंट लगवाने वालों को आजीवन खानी होती है रक्त पतला करने की दवा

संतोष शुक्ल, मेरठ

डेंगू का कहर हर अंग पर असर डाल रहा है, लेकिन दिल के मरीज बीच में फंस गए हैं। रक्त पतला करने की दवा बंद करने से जहां स्टेंट में ब्लॉकेज का खतरा है, वहीं दवा लेने पर ब्लीडिंग का रिस्क। ओपीडी में हार्ट के तमाम मरीज पहुंच रहे हैं, जिनके लिए दवा लेना व छोड़ना दोनों घातक है। उधर, कमजोर हार्ट वाले मरीज जल्दी मल्टी आर्गन फेल्योर का शिकार हो सकते हैं।

मेडिकल कालेज की माइक्रो बायोलोजी लैब में अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा मरीजों की जांच की जा चुकी है। क्लीनिकों की मानें तो मरीजों की संख्या ज्यादा है। डेंगू शरीर में तीन से 14 दिन का चक्र पूरा करता है। बुखार, सिर दर्द, पेट दर्द, सूजन, उल्टी, चकत्ते पड़ना एवं प्लेटलेट्स गिरता है। विशेषज्ञों के मुताबिक तमाम ब्लड में साइटोकाइन के सक्रिय होने से नसों से सीरम एवं प्लाज्मा लीक होकर छाती, पेट, एवं अन्य अंगों में पहुंच जाता है।

दिल के रोगी ज्यादा रहें सतर्क

डेंगू के संक्रमण में हार्ट का मरीज सर्वाधिक रिस्क जोन में है। स्टेंट लगवा चुके मरीजों को आजीवन रक्त को पतला करने की दवा खानी पड़ती है। इनमें डेंगू होने पर प्लेटलेट्स तेजी से गिरती हैं। रक्त पतला होने लगता है। अगर ये दवा दी गई तो ब्लीडिंग का खतरा होता है। किंतु दवा न देने पर स्टेंट में थक्का जमने का रिस्क रहता है। ऐसे में प्लेटलेट्स काउंट एवं डेंगू की रिपोर्ट देखते हुए तमाम मरीजों की दवा की डोज बदलनी पड़ रही है। तमाम मरीजों का दिल फैला हुआ होता है। इनके लिए भी डेंगू ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। अगर उन्हें फ्ल्यूड दिया जाए तो फेफड़ों में पानी भर सकता है। किडनी बंद होने पर हार्ट पर लोड बढ़ जाता है। शॉक सिंड्रोम के मरीजों का ब्लड प्रेशर भी नहीं उठता।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

स्टेंट वालों में प्लेटलेट्स 50 हजार से नीचे गिरते ही रक्त पतला करने की दोनों दवाएं बंद करनी पड़ती हैं। दवा न देने पर प्लेटलेट्स के जुड़ने से स्टेंट में थक्का बन सकता है। मरीज दोतरफा रिस्क में है। उन्हें सघन निगरानी में रखना चाहिए। मच्छरों से पूरी तरह बचें।

डा. संजीव सक्सेना, सीनियर कार्डियोलाजिस्ट

स्टेंट के मरीज को प्लेटलेट्स रोकने के लिए ही दो दवाएं दी जाती हैं। किंतु डेंगू में प्लेटलेट गिरने पर इस दवा से ब्लीडिंग हो सकती है। डोज कम करने एवं दवा बंद करने का ही विकल्प होता है। दिल फैला हो तो फ्ल्यूड भी नहीं दिया जा सकता। प्लेटलेट्स बढ़ाने वाला खानपान करें।

डा. विनीत बंसल, सीनियर कार्डियोलोजिस्ट


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