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विश्व वन्य जीव दिवस पर विशेष : वन्य संपदा खूब... प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर Meerut News

विश्व वन्य जीव दिवस पर विशेष हस्तिनापुर की पावन धरा न केवल पौराणिक इतिहास से समृद्ध है बल्कि वन्य संपदा व प्राकृतिक सौंदर्य से भी लबरेज है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 02:06 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 02:06 PM (IST)
विश्व वन्य जीव दिवस पर विशेष : वन्य संपदा खूब... प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर Meerut News
विश्व वन्य जीव दिवस पर विशेष : वन्य संपदा खूब... प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर Meerut News

मेरठ, [सचिन गोयल]। हस्तिनापुर की पावन धरा न केवल पौराणिक इतिहास से समृद्ध है, बल्कि वन्य संपदा व प्राकृतिक सौंदर्य से भी लबरेज है। गंगा की तलहटी हो या दलदली झीलें, खुले मैदान हो या जंगल की बीहड़, हस्तिनापुर सेंक्चुअरी में अनेक प्रकार के जंगली और जलीय जीव दिखाई दे जाएंगे। तीन मार्च को समूचा विश्व वन्य जीव दिवस के रूप में मना रहा है। आइए, इस मौके पर हम भी आपको आओ हस्तिनापुर चलें अभियान के तहत हस्तिनापुर सेंचुरी का भ्रमण कराते हैं...

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हस्तिनापुर की सैर

मेरठ से लगभग 40 किमी की दूरी तय कर हम हस्तिनापुर कस्बे में पहुंचते हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर क्षेत्रीय वन कार्यालय है। इसी स्थान के पास एक नेचर ट्रेल बना हुआ है। हम इस ट्रेल पर आगे बढ़ें तो हमें जंगल की सैर जैसा आनंद प्राप्त हुआ। रास्ते में टूटे पेड़, झाड़ इत्यादि घने जंगलों में विचरण का भरपूर आनंद दिलाते हैं। आगे चलने पर एक पुरानी सी इमारत भी दिखाई देगी। यहां से आगे बढ़ने पर वन विभाग का अतिथि गृह आएगा, जहां नेचर ट्रेल की यात्र समाप्त हो जाती है। इसके बाद हम मुख्य मार्ग से होते हुए मध्य गंग नहर से पहले सामाजिक वानिकी प्रशिक्षण केंद्र पहुंचा जा सकता है। यहां के दृश्य ने हमें मंत्रमुग्ध कर देता है। घड़ियाल, कछुए व डाल्फिन के मॉडल्स बड़े ही रोमांचकारी अनुभव कराते हैं। पास ही कछुओं का तालाब दिखाई देगा। इस तालाब में आपको कछुओं के शावक दिख जाएंगे। गंगा नदी पर कछुआ संरक्षण परियोजना भी चल रही है। जिसके तहत गंगा किनारे कछुओं के अंडे संरक्षित किए जाते हैं और शावकों को यहां आधुनिक तालाब में विशेषज्ञों के देखरेख में रखा जाता है। शोरगुल के वातावरण से दूर यहां आपको मानसिक शांति भी मिलेगी।

प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां

यहां से पुन: मुख्य मार्ग पर आते हुए हम गंगा किनारे की ओर चलते हैं। पहले हम चेतावाला गांव से बाएं होते हुए भीकुंड गांव के पास दलदली झीलों पर पहुंचे। जहां प्रवासी पक्षियों की अठखेलियों व कलरव ने मन प्रफुल्लित कर दिया। सैकड़ों की तादात में पक्षी झील में अपनी मस्ती में थे। वास्तव में ये पल आपको रोमांचित कर देंगे। अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो कुछ समय और लग सकता है। पक्षियों की अठखेलियां को कैमरे में कैद करने के लिए कितने क्लिक हो जाए, पता ही नहीं चलेगा। हालांकि यह मौसम केवल मार्च माह के अंत तक देखने को मिलता है। इसके बाद हम वापस उसी मार्ग से होते हुए मखदूमपुर गंगा घाट पहुंचे। जहां कुछ दूर गंगा किनारे चलने पर आपको दूर टापुओं पर बैठे घड़ियाल व कछुए तो दिखाई दे ही जाएंगे। यदि गंगा में छलांग लगाती डाल्फिन मिल जाए तो अपने आप को किस्मत का धनी समझें।

शांती की असीम गहराई

गंगा के किनारे आपको शांति की असीम गहराई में ले जाएंगे। दूर-दूर तक कोई शोर करने वाला नहीं, बस आवाज आएगी तो गंगा की लहरों की। यहां भी आपको कई एंगल से फोटो शूट कर सकते हैं। अगर आपको भरपूर जंगल का आनंद लेना है तो, मखदूमपुर गंगा घाट से मवाना की ओर चलिए और नहर पटरी से होते हुए लुकाधड़ी पुल से होते हुए गजुपुरा गांव के पास अजरुन वन ब्लाक में बने टूरिज्म स्पॉट पर जाएं। जहां एक झोपड़ी, लकड़ियों से बनी बेंच आदि जंगल में होने का अहसास कराएंगी। वनकर्मियों से पता चला कि इसी स्थान पर कई बार तेंदूए की आमद देखी गई है। जंगल में भ्रमण करते हुए आपको हिरण, सांभर, नीलगाय आदि भी विचरण करते हुए मिल सकते हैं। 


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