Hariom Anand Suicide Case: अर्श से फर्श पर गिरे और गुम हो गए वो बड़े नाम Meerut News
आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद के आत्महत्या करने की घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया है। शहर के बड़े घरानों के लिए यह खुदकुशी चर्चा व चिंता का विषय बनी हुई है।
मेरठ, जेएनएन। फर्श से अर्श तक पहुंचने की सक्सेस स्टोरी तो दोहराई जाती रही है, लेकिन मेरठ ने पिछले कुछ वर्षो में अर्श से फर्श पर गिरते हुए हस्तियों को देखा है। आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद के आत्महत्या करने की घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया है। शहर के बड़े घरानों के लिए यह खुदकुशी चर्चा व चिंता का विषय बनी हुई है।
कई बिकने के कगार पर
इस चिंता की अपनी कई वजह भी हैं। हरिओम आनंद ही नहीं, शहर के कई बड़े घरानों के कर्ज में डूबने की चर्चाएं बीच-बीच में आती रही हैं। कई कारोबार बिक भी चुके हैं, तो कई बिकने के कगार पर पहुंच चुके हैं। मार्च 2018 में होटल हारमनी के संचालक हिमांशु पुरी परिवार के साथ रातोंरात सारा कारोबार, घर छोड़कर मेरठ को अलविदा कह गए थे। जब उन्होंने मेरठ छोड़ा उनका होटल ठीक चल रहा था।
कई बड़े कारोबारियों पर भारी कर्ज
इसके अलावा भी ज्वेलरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और आटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े कई बड़े कारोबारियों पर भारी कर्ज है। दिल्ली रोड स्थित मारुति शोरूम राजस्नेह के मालिक भी शोरूम बंद करने पर विवश हो गए। उन्होंने पिछले कुछ वर्षो में फैलाया व्यवसाय झटके में समेट दिया। आज राजस्नेह की प्रॉपर्टी पर बैंक और कर्जदारों के नोटिस चस्पा हैं। परिवार भी लंबे समय से नेपथ्य में है। रविवार की सुबह इसी कड़ी में मेरठ के महापौर रहे अरुण जैन को भी लोगों ने याद किया। इनके इलेक्ट्रॉ फॉल, अप्पूघर और अन्य प्रोजेक्ट सुर्खियों में रहे लेकिन अंतिम समय में उनके दिन भी ढल गए थे।
यह है हाल
पिछले कुछ वर्षो में मेरठ के कई उच्च शिक्षण संस्थानों में तालाबंदी हुई तो कई ने कालेज को स्कूल में बदल दिया। अब समय की जरूरत कहें या संस्थान को चला पाने में असमर्थता, शहर के बड़े घरानों द्वारा संचालित एक उच्च शिक्षण संस्थान की भी हालत खस्ता है।
समय से ब्याज का पैसा लौटा देते थे हरिओम
हरिओम आनंद को ब्याज पर पैसा बड़ी आसानी से मिल जाता था। शहर में चर्चा रही है कि आनंद ढाई फीसद प्रति माह के रेट पर ब्याज देते थे। जब तक वित्तीय संकट में वे नहीं उलझे थे, हर महीने की पहली तारीख को एंबुलेंस से ब्याज की रकम निवेशकों को भेज दी जाती थी। उन्होंने यही विश्वास कायम किया था, जिस पर शहर की कई बड़ी हस्तियों ने बड़ी रकम लगाई और आज उनके जाने के बाद वे भी सकते में आ गए हैं।