Hariom Anand suicide Case: उत्तराखंड़ के पूर्व मंत्री ने सीएम योगी को भेजा पत्र, अतुल कृष्ण को बताया बड़ा जालसाज
सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल भटनागर को बड़ा जालसाज बताकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। उत्तराखंड के भाजपा के वरिष्ठ नेता मनीष वर्मा ने शिकायत पत्र को सीएम को ट्वीट भी किया।
मेरठ, जेएनएन। आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद की आत्महत्या प्रकरण में अब उत्तराखंड के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मनीष वर्मा भी अतुल कृष्ण के खिलाफ उतर आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर अतुल के आपराधिक इतिहास का उल्लेख किया है। साथ ही उन्हें ट्वीट भी किया है। इसमें बताया गया है कि सुभारती के एकाउंटेंट निर्मल शर्मा के हत्यारोपित अतुल कृष्ण से हरिओम आनंद के परिवार को नुकसान पहुंच सकता है।
बयानों की सीडी सीबीआई को दी थी
मनीष वर्मा ने फोन पर बताया कि हरिओम आनंद हमारे प्रिय मित्र थे। वो अतुल कृष्ण की कार्यप्रणाली से पूरी तरह वाकिफ थे। इसलिए उन्होंने आरटीआइ के जरिये निर्मल हत्याकांड की चार्जशीट हासिल की। 750 पन्नों की चार्जशीट को अपने पास रखने की बजाय देहरादून आकर मुझे दे गए थे। मनीष वर्मा ने बताया कि हरिओम आनंद ने कहा था कि मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। मेरे बाद निर्मल शर्मा की लड़ाई आपको ही लडऩी है। उन्होंने बताया कि आरोप पत्र में एक आरोपित ओमवीर के बयानों की सीडी भी सीबीआइ कोर्ट में पेश की गई थी, जिसमें आरोपित ओमवीर ने बताया कि अतुल कृष्ण ने निर्मल शर्मा की हत्या कराने के लिए डेढ़ लाख रुपये हथियार खरीदने के लिए दिए थे।
सीबीआई ने अतुल को ठहराया था दोषी
भरोसा दिलाया था कि उसके परिवार के एक सदस्य को सुभारती में नौकरी भी देंगे। उन्होंने बताया कि अतुल को सीबीआइ द्वारा दोषी ठहरा देने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर जेल की सलाखों से बाहर हैं। उन्होंने पत्र में अतुल कृष्ण पर देहरादून में कई गलत काम करने के आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अतुल कृष्ण ने एमबीबीएस की फर्जी मान्यता लेकर बच्चों का जीवन तबाह कर दिया था, जिसमें उन पर मुकदमा दर्ज हुआ। कुर्की की कार्रवाई हुई तो 15 करोड़ की कीमत अदालत में जमा करने के बाद जेल जाने से बचे। मनीष वर्मा ने अतुल के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।
धोखाधड़ी में मनीष शर्मा जेल पर थे, अब बेल पर हैं
मनीष वर्मा का देहरादून में मेडिकल और डेंटल कॉलेज नहीं चल पाया। उन्होंने 2011 में हमारे सामने मेडिकल और डेंटल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव रखा। बताया गया कि उनके पास 100 बीघा जमीन है। तभी हमने उन्हें साढ़े 27 करोड़ रुपये मेडिकल और डेंटल कॉलेज चलाने को दिए। तय हुआ कि ढाई करोड़ तब देंगे, जब जमीन का बैनामा दिखाएंगे। पड़ताल में आया कि यह जमीन सिर्फ 34 बीघा है। बाकी की जमीन के फर्जी कागजात तैयार किए गए थे। तब उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया। उसके बाद छह माह तक जेल में रहे। फिलहाल बेल पर हैं। उसके बाद ही मनीष वर्मा ने हरिओम आनंद के साथ हाथ मिलाया था। तब से लगातार प्रदेश सरकार को झूठे पत्र लिखते रहते हैं। साथ ही जिन बच्चों के एडमिशन हमारे कॉलेज में हो गए थे, उन्हें वहां की सरकार ने अपने सरकारी कॉलेज में शिफ्ट कर लिया। उसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के जरिए बच्चों की पढ़ाई के लिए 97 करोड़ की मांग की। हमने अपना पक्ष रखा तो उन्हें 15 करोड़ का जुर्माना दिया गया।
-अतुल कृष्ण भटनागर, ट्रस्टी, सुभारती ग्रुप