'प्लानिंग के तहत किया गया हलाला कुरान की नजर में गुनाह'
हापुड़ रोड स्थित प्लाजा में रविवार को तीन तलाक और दारुल कजा के अधिकारों को लेकर अधिवक्ताओं और उलमा की बैठक हुई। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमआर शमशाद ने भारतीय संविधान के आधार पर शरीयत की व्याख्या की। कहा काजी को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं है।
मेरठ । हापुड़ रोड स्थित प्लाजा में रविवार को तीन तलाक और दारुल कजा के अधिकारों को लेकर अधिवक्ताओं और उलमा की बैठक हुई। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमआर शमशाद ने भारतीय संविधान के आधार पर शरीयत की व्याख्या की। कहा काजी को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं है।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दारुल कजा कमेटी के आर्गनाइजर शमशाद ने कहा कि काजी मुस्लिम समाज के दो पक्षों के बीच मध्यस्थता कर उनके पारिवारिक विवाद निपटा सकता है। शमशाद ने कहा कि शरीयत केवल तीन तलाक तक सीमित नहीं है। यह व्यापक है। अगर हम शरीयत के प्रावधानों पर खुले मंच पर बहस करेंगे और उनकी प्रासंगिकता पर बहस करेंगे तो इससे भारतीय जनमानस में उनके बारे में भ्रामक स्थिति समाप्त होगी।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड शरीयत दारुल कजा के काजी मुफ्ती हस्सान कासमी ने कहा कि हलाला का प्रावधान कुरान में इस भावना के साथ किया गया था कि ऐसे पति-पत्नी जो तलाक के लंबे समय बाद, जब पत्नी का दूसरा निकाह भी हो गया हो अगर फिर से एक साथ रहने को रजामंद हो तो उनके लिए भी अवसर था। मौजूदा दौर में कुछ लोग प्लानिंग के तहत ऐसा कर रहे हैं गुनाह है। ऐसे लोगों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया था जो कत्ल के अपराध से भी ज्यादा कठोर था। उन्होंने कहा कि दारुल कजा में 95 प्रतिशत शिकायतें महिलाओं द्वारा की जाती हैं। संविधान के दायरे में उन्हें निपटाने का प्रयास किया जाता है। बैठक में दारुल कजा को और अधिक विश्वसनीय संस्था बनाने पर जोर दिया गया। इस अवसर दारुल कजा की तर्ज पर ¨हदू न्याय पीठ के गठन करने वालों पर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने के मामले में भी चर्चा हुई। अध्यक्षता करते कारी शफीकुर्रहमान ने दुआ कराई और ऐसी बैठकों के आयोजन पर जोर दिया। डा. मुफ्ती आशिक सिद्दिकी, मौलाना गुलजार कासमी, रऊफल हसन अंसारी, जब्बार खान एडवोकेट, कुंवर एडवोकेट, चौधरी सरताज एडवोकेट, अयाज, मुल्ला फुरकान, मौलाना अकील अजराड़ा आदि ने शिरकत की।