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झोपड़ी में आग लगी, हजारों का सामान जला

हस्तिनापुर के चेतावाला गांव मे एक झोपड़ी में अचानक आग लग गई। जिसमें झोपड़ी मे रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। गनीमत यह रही कि जिस समय झोपड़ी में आग लगी उस समय परिवार के सभी लोग घर से बाहर थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 11:34 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 11:34 PM (IST)
झोपड़ी में आग लगी, हजारों का सामान जला
झोपड़ी में आग लगी, हजारों का सामान जला

मेरठ, जेएनएन। हस्तिनापुर के चेतावाला गांव मे एक झोपड़ी में अचानक आग लग गई। जिसमें झोपड़ी मे रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। गनीमत यह रही कि जिस समय झोपड़ी में आग लगी, उस समय परिवार के सभी लोग घर से बाहर थे। पीड़ित परिवार की हालात दयनीय है। आग लगने के कारण का पता नहीं चल सका है।

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दूधली खादर ग्राम पंचायत का मजरे चेतावाला पर स्थित कालोनी मे काफी बंगाली परिवार रहते हैं, जिनमें कई लोगों की आíथक स्थिति बहुत ही दयनीय है। जिनमें से कुछ लोग झोपड़ी बनाकर रहते हैं। ऐसा ही परिवार श्यामल का है। उसकी पत्नी पिकी व तीन बच्चे हैं तथा मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करता है। सोमवार की शाम जब वे झोपड़ी के पास ही दुकान पर बैठे थे तथा बच्चे भी घर से बाहर ही खेल रहे थे। तभी अचानक झोपड़ी में आग लग गई। जब तक कुछ समझ पाते तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। कड़ी मशक्कत कर आस पास के लोगों ने आग पर काबू पाया, परंतु जब तक झोपड़ी में रखा सामान चारपाई, साइकिल, अनाज, टीवी, बिस्तर, बर्तन व नगदी जलकर राख हो गए। गनीमत यह रही कि जिस समय झोपड़ी में आग लगी उस समय उसमें कोई न था। सूचना पर मौके पर पुलिस भी पहुंची तथा आíथक मदद दिलाने का आश्वासन दिया।

सिर पर नहीं रही छत

श्यामल का परिवार के पास रहने के लिए केवल यही एक झोपड़ी थी। जिसमें सब कुछ जलकर राख हो गया। उसका व उसकी पत्नी पिकी का रो रोकर बुरा हाल है। सर्द मौसम उसके छोटे छोटे तीन बच्चों को रोता देख सभी के आंखों से आंसू आ गए। हालांकि फिलहाल कालोनी के लोगों ने सहानुभूति दिखाई तथा उसके परिवार को अपने घर पर ले गए।

आवास से वंचित कैसे रह गया श्यामल

पीड़ित परिवार पिछले लगभग बारह वर्षों से इसी झोंपडी में रहकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। जिसमें हर समय किसी भी अप्रिय घटना घटित होने का भय बना रहता है। उसने बताया कि उसके पास रहने के लिए केवल यही एक झोंपड़ी है तो आखिर यह सरकारी आवास बनवाने से वंचित कैसे रह गया, जबकि सरकार के निर्देश है कि जिन परिवारों के सिर पर पक्की छत नहीं है। उन्हें आवास दिलाया जाए। परंतु श्यामल का परिवार का योजना से कैसे वंचित रह गया , हास्यास्पद है।


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