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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में फंसा जमीन का पेंच

नमामि गंगे योजना के तहत कमालपुर में 200 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट बनाने की योजना जमीन न उपलब्ध होने के कारण अधर में लटक गई है। इस मसले को लेकर बुधवार को जल निगम के एमडी ने नमामि गंगे योजना और विश्व बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में स्थानीय अधिकारियों के साथ करीब चार घंटे बैठक की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 09:00 AM (IST)
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में फंसा जमीन का पेंच
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में फंसा जमीन का पेंच

मेरठ, जेएनएन : नमामि गंगे योजना के तहत कमालपुर में 200 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट बनाने की योजना जमीन न उपलब्ध होने के कारण अधर में लटक गई है। इस मसले को लेकर बुधवार को जल निगम के एमडी ने नमामि गंगे योजना और विश्व बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में स्थानीय अधिकारियों के साथ करीब चार घंटे बैठक की। जलालपुर गांव में जमीन देखने भी गए, लेकिन समाधान नहीं हो सका। अब 15 दिसंबर को कमिश्नर की अध्यक्षता में बैठक प्रस्तावित की गई है।

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बुधवार सुबह 11.30 बजे जल निगम के एमडी विकास गोठलवाल मेरठ पहुंचे। उनके साथ नमामि गंगे योजना के टेक्निकल डायरेक्टर प्रवीण कुमार, विश्व बैंक के टीम लीडर जेबियर और जल निगम के मुख्य अभियंता जीएस श्रीवास्तव भी मौजूद थे। उन्होंने स्थानीय जल निगम के परियोजना अधिकारियों के साथ कमालपुर स्थित 72 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट परिसर में बैठक की। नजदीक ही कमालपुर में 681 करोड़ की लागत से 200 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट का निर्माण प्रस्तावित है। इस प्लांट के लिए नौ हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। जल निगम के पास 5.4 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है। करीब 3.4 हेक्टेयर जमीन कम पड़ रही है। यह जमीन आवास विकास से खरीदने की बात हो रही है, लेकिन जमीन की कीमत अधिक है। इसके चलते जल निगम के एमडी ने आसपास मौजूद सरकारी जमीन की स्थिति देखने की बात कही। फौरन क्षेत्र के लेखपाल को बुलाया गया। लेखपाल के बताने पर जलालपुर गांव पूरा अमला पहुंचा, लेकिन एमडी को यह जमीन पसंद नहीं आई। जल निगम के एमडी ने स्थानीय अधिकारियों से कहा कि 15 दिसंबर को कमिश्नर के साथ बैठक करेंगे, जिसमें जमीन का मसला निपटाया जाएगा। यह भी निर्देश दिया कि शहर में कितना सीवेज प्रतिदिन उत्सर्जित हो रहा है, कितने क्षमता के प्लांट की जरूरत है, कितनी क्षमता के एसटीपी मौजूद हैं। इसका आंकलन एमडीए के अधिकारियों के साथ बैठक तैयार कर लें ताकि प्लांट के निर्माण से पहले वास्तविक स्थिति पता चल सके। बैठक में सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह, जल निगम से परियोजना प्रबंधक रमेश चंद्र, अमित सहरावत समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहें।

विश्व बैंक देगा प्लांट के निर्माण का पैसा

200 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए विश्व बैंक पैसा देगा। बैठक में विश्व बैंक के टीम लीडर जेबियर ने जल निगम के अधिकारियों के साथ प्लांट स्थापित करने के सभी बिंदुओं पर बात की। इस प्लांट से तीन प्रमुख नाले आबू नाला एक, आबुनाला दो और ओडियन नाला को जोड़ा जाना है। शहर में अभी केवल जल निगम का 72 एमएलडी का सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट मौजूद है, जिससे 30 एमएलडी सीवर को ट्रीट किया जा रहा है। जबकि एमडीए के 12 छोटे-छोटे प्लांट हैं, लेकिन शहर से प्रतिदिन 300 एमएलडी सीवर उत्पन्न होता है। मेरठ को राज्य स्मार्ट सिटी मिशन योजना में शामिल किया गया है, जिसके तहत शहर में शत प्रतिशत सीवरेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था करनी है।

अपने सभी प्लांट चालू करे एमडीए

जल निगम के एमडी विकास गोठलवाल ने एमडीए उपाध्यक्ष राजेश पांडेय से एसटीपी की वस्तु स्थिति जानी। उन्होंने कहा कि एमडीए अपनी कालोनियों का पानी नालों में ट्रीट कर छोड़े। सभी प्लांट चालू किए जाएं। अनाधिकृत कालोनियों का कितना सीवर नालों में बहाया जा रहा है। इसका भी आंकलन प्रस्तुत करने के लिए एमडीए उपाध्यक्ष को निर्देश दिया।

आबादी के हिसाब से सीवर का डिस्चार्ज ज्यादा कैसे

शहर की आबादी लगभग 18 लाख है, जबकि शहर में प्रतिदिन नालों के जरिए सीवर का उत्सर्जन 300 एमएलडी है। जो आबादी के हिसाब से ज्यादा है। जल निगम के अधिकारियों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज, चौधरी चरण सिंह विवि समेत कई बड़े संस्थान हैं, जो सीवर का उत्सर्जन बड़ी मात्रा में करते है। एमडी ने कहा कि बड़े संस्थान अपना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट खुद लगाएं।


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