Move to Jagran APP

मेरठवालों के लिए खुशखबर, सबसे बड़ी सीवेज समस्या होने वाली है हल

मेरठवासियों के लिए अच्छी खबर है। बहुप्रतीक्षित 220 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 04:45 AM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 04:45 AM (IST)
मेरठवालों के लिए खुशखबर, सबसे  बड़ी सीवेज समस्या होने वाली है हल
मेरठवालों के लिए खुशखबर, सबसे बड़ी सीवेज समस्या होने वाली है हल

मेरठ,जेएनएन। मेरठवासियों के लिए अच्छी खबर है। बहुप्रतीक्षित 220 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए टेंडर जारी करने की स्वीकृति नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा से मिल गई है। बुधवार को जल निगम ने टेंडर जारी करने की प्रकिया भी शुरू कर दी है। इस एसटीपी के बनने से शहर की सबसे बड़ी सीवेज निस्तारण की समस्या का हल हो जाएगा और काली नदी में नालों का शोधित पानी ही बहेगा।

prime article banner

नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा कार्यक्रम के तहत टेंडर डाक्यूमेंट की स्वीकृति आते ही जल निगम सिविल शाखा के अधिकारियों ने टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल निगम सिविल शाखा के परियोजना प्रबंधक रमेश चंद्रा ने बताया कि तीन सितंबर तक टेंडर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। लगभग दो माह की टेंडर प्रक्रिया रहेगी। 18 अक्टूबर को टेंडर खोला जाएगा। जल निगम कंपनी का चयन 15 नवंबर तक कर लेगा। 220 एमएलडी एसटीपी के निर्माण की अवधि दो साल की रहेगी। यह एसटीपी कमालपुर स्थित 72 एमएलडी एसटीपी के समीप छह हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। जल निगम ने जमीन पहले ही फाइनल कर ली है। विश्व बैंक की मदद से यह एसटीपी बनाया जाएगा। इसकी कुल लागत लगभग 681.78 करोड़ आएगी। इसमें सिविल कंस्ट्रक्शन पर लगभग 363 करोड़ खर्च होंगे। शेष धनराशि मेंटीनेंस समेत अन्य मदों में खर्च होगी। एसटीपी से जुड़ेंगे दो बड़े नाले

220 एमएलडी एसटीपी से दो बड़े नालों ओडियन और आबूनाला-दो (बेगमपुल वाला नाला) को जोड़ा जाएगा। इन नालों को टेप कर पानी एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा। यहां से शोधित जल ही काली नदी में बहाया जाएगा। इससे काली नदी की कालिमा दूर होगी। साथ ही सीवेज शोधन क्षमता बढ़ने के साथ शहर में सीवर लाइन डालने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। शोधन की अत्याधुनिक तकनीक पर बनेगा एसटीपी

जल निगम के अधिकारियों के अनुसार 220 एमएलडी एसटीपी का निर्माण एमएलई तकनीक पर किया जाएगा। यह तकनीक पूर्व में बनाए गए एसटीपी से बेहतर और अधिक गुणवत्तापरक है। इस तकनीक से शोधित जल का उपयोग पेड़-पौधों की सिंचाई के काम में किया जा सकेगा। अर्थात शोधित जल काम में लाया जा सकेगा। सांसद ने उठाई थी मांग

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रस्तावित 220 एमएलडी एसटीपी का जल्द निर्माण शुरू कराने की मांग केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने रखी थी। उन्होंने काली नदी का दर्द बयां किया था। नालों का सीवेज नदी में बहने से भूमिगत जल दूषित होने और टीबी, कैंसर, पीलिया, हेपेटाइटिस बी जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में लोगों के आने का हवाला दिया था। इन्होंने कहा-

मेरठ शहर के लिए अच्छी खबर है। लंबे समय से राह देख रहे थे। 220 एमएलडी का एसटीपी दो साल में तैयार हो जाएगा। सीवेज डिस्चार्ज की तुलना में शोधन क्षमता पर्याप्त होने से शहर में सीवरेज नेटवर्क का काम भी गति पकड़ेगा।

मनीष बंसल, नगर आयुक्त बड़ा एसटीपी तो ठीक.. लेकिन नाले में सीवेज बहने से भी रोकिए : बहुप्रतीक्षित 220 एमएलडी का एसटीपी बनने से सीवेज ट्रीटमेंट की शोधन क्षमता पर्याप्त हो जाएगी। लेकिन इसके साथ ही नगर निगम को नाले में घरों का सीवेज बहने से रोकने का प्रबंध भी करना होगा। दरअसल, शहर के 35 फीसद हिस्सा ही सीवर नेटवर्क से कवर है। एमडीए के 12 एसटीपी हैं, जो विभिन्न योजनाओं में है। इनकी पूरी शोधन क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा है। इन एसटीपी से आसपास की उन कालोनियों को सीवर लाइन डालकर जोड़ दिया जाए तो नालों में सीधे सीवेज बहना बंद हो सकता है। इसके लिए नगर निगम, एसडीए और जलनिगम को प्लान बनाकर काम करने की जरूरत है। शहर में दिल्ली रोड से जुड़े मोहल्लों जैसे जैननगर, देवपुरी से लेकर परतापुर तक सीवर लाइन डालकर इसे भी बड़े एसटीपी से जोड़ने के लिए अब प्लान तैयार करना होगा। ताकि 220 एमएलडी एसटीपी तैयार होने पर शहर की सीवर निस्तारण की समस्या का निदान किया जा सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.