अच्छा व बुरा सब स्वयं पर निर्भर : भाव भूषण
हस्तिनापुर में विश्व की सुख शांति एवं समृद्धि के लिए चल रहे 4
मेरठ, जेएनएन। हस्तिनापुर में विश्व की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान एवं पाठ में शुक्रवार को नित्य नियम पूजन किया गया। विधान के ग्यारहवें दिन 111 परिवारों की ओर से भक्तामर विधान का आयोजन किया गया।
विधान में भगवान का अभिषेक करने का सौभाग्य कमल जैन को मिला। भगवान की शांतिधारा देवांश जैन, विनोद जैन ने की। आरती का दीप देवांशी जैन ने प्रज्वलित किया। विधान के मध्य में मुनि भाव भूषण महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि जीव की एक पर्याय एक समय में नष्ट होती है और दूसरे समय में दूसरी पर्याय उपजती है। जैन मत का सिद्धांत भी यही है कि क्षण-क्षण पर नया जीव उपजता है, और पुराना विनाशता है। पर्याय के अनुसार ही द्रव्य को सर्वथा अनित्य मानता है ऐसे मूर्ख की अवश्य कुगति होती है। अच्छा व बुरा सब स्वयं पर निर्भर है।
सांय काल भगवान की मंगल आरती की गई। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम व प्रश्न मंच का आयोजन किया गया। जिसमें गुरुकुल के छात्रों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। विधान संयोजक मोतीलाल जैन रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त स्टाफ का सहयोग रहा।
आचार्य निशंक भूषण महाराज के समाधि धारण का छठा दिन : हस्तिनापुर के दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर पर विराजमान आचार्य निशंक भूषण महाराज ने समाधि धारण की हुई है। उन्होंने गत छह दिनों से अन्न का त्याग किया हुआ है। महाराज श्री केवल जल व मट्ठा ही ग्रहण कर रहे हैं।
आचार्य निशंक भूषण महाराज ने दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर पर 21 फरवरी से समाधि धारण की हुई है। मंदिर के महाप्रबंधक मुकेश जैन ने बताया कि महाराजश्री की उम्र लगभग 85 वर्ष से ऊपर है। लगभग 15 वर्ष पूर्व 25 जुलाई 2005 को उन्होंने कांधला में आचार्य ज्ञान भूषण महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी। तभी से उन्होंने वे दिगंबर मुनि बन गए। आचार्य श्री विहार करते हुए हस्तिनापुर पहुंचे थे। इसके बाद वे आसपास के तीर्थ स्थलों पर विहार करते रहे। पिछले लगभग पांच वर्षो से हस्तिनापुर में ही पंच बालयति मंदिर में विराजमान थे। परंतु अब दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में विराजमान है और पिछले छह दिनों से समाधि धारण किए हुए हैं। उन्होंने अन्न फल इत्यादि का पूर्ण रूप से त्याग कर दिया है। आवश्यकता पड़ऩे पर केवल जल व मट्ठा ही ग्रहण कर रहे हैं। महाप्रबंधक ने बताया कि आचार्य भारत भूषण महाराज व संयम सागर महाराज के सानिध्य में समाधि धारण की हुई है। वे इस समय श्रद्धालुओं से भी नहीं मिल रहे है।