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बिना क्लोरीन मिलाए शहर को पिलाया जा रहा गंगाजल

कोरोना महामारी के दौरान शहरवासियों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भोला की झाल स्थित 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से बिना क्लोरीन मिलाए गंगाजल की आपूर्ति शहर में हो रही है। यह सच गंगाजल में क्लोरीन की लाइव टेस्टिग रिपोर्ट से सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 06:03 AM (IST)
बिना क्लोरीन मिलाए शहर को पिलाया जा रहा गंगाजल
बिना क्लोरीन मिलाए शहर को पिलाया जा रहा गंगाजल

मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौरान शहरवासियों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भोला की झाल स्थित 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से बिना क्लोरीन मिलाए गंगाजल की आपूर्ति शहर में हो रही है। यह सच गंगाजल में क्लोरीन की लाइव टेस्टिग रिपोर्ट से सामने आया है।

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जल निगम के यांत्रिकी के अधिशासी अभियंता अमित सहरावत मय टीम मंगलवार को नगर निगम के टाउनहाल स्थित भूमिगत जलाशय पहुंचे। दोपहर में टीम ने यहां गंगाजल का सैंपल लिया। मौके पर ही गंगाजल में क्लोरीन की मात्रा जांची तो शून्य मिली। टीम ने शर्मा स्मारक, सर्किट हाउस और विकासपुरी भूमिगत जलाशय के गंगाजल में भी क्लोरीन की मात्रा जांची। अमित सहरावत ने बताया कि चारों भूमिगत जलाशय के गंगाजल में क्लोरीन की मात्रा शून्य मिली है, जबकि शहर में आपूर्ति हो रहे गंगाजल में क्लोरीन की मात्रा कम से कम 0.2 पीपीएम से 0.5 पीपीएम तक होनी चाहिए। भोला की झाल प्लांट से शहर को 59 एमएलडी गंगाजल आपूर्ति होता है। इसके अलावा चारों भूमिगत जलाशयों के एयर वेंट वॉल्व पर महीन जाली नहीं लगी है, जिससे सांप, बिच्छू व छिपकली टैंक में जाने का खतरा है। सफाई भी कई साल से नहीं हुई है।

क्लोरीन मिलाने वाले उपकरण हैं खराब

अधिशासी अभियंता ने कहा कि भोला की झाल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन मिलाने वाले उपकरण खराब पड़े हैं। मैन्युअल क्लोरीन नहीं मिलाया जा रहा है। हालांकि जलकल विभाग के सहायक अभियंता अशोक कुमार का कहना है कि एक दिन पहले भोला की झाल स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया था। तब प्लांट में स्टोर पानी में क्लोरीन की मात्रा चेक कराई थी, जो छह पीपीएम मिली थी। क्लोरीन मिलाने वाले उपकरण में समस्या है। ठेका एजेंसी को उसे दुरुस्त करने के लिए कहा गया है।

बीमार कर सकता है ये पानी

जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित ने कहा कि पानी में क्लोरीन बैक्टीरिया खत्म करने के लिए मिलाई जाती है, लेकिन बिना क्लोरीन मिले गंगाजल में बैक्टीरिया पानी के साथ पहुंचकर लोगों को बीमार कर सकते हैं। पेट दर्द व डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। कोरोना महामारी और गर्मी का सीजन भी है।


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