मेरठ से ऑस्ट्रेलिया जाएगी गणपति की मूर्ति, जानिए क्या है मूर्तियों में खास
मेरठ में तैयार की गई गणेशजी की मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया जाएंगी। वहां दीपावली पर इनका प्रयोग किया जाएगा। इन मूर्तियों की खासियत है कि ये वाटर प्रूफ होने के साथ इको फ्रेंडली भी हैं।
मेरठ (संतोष शुक्ल)। गणेश चतुर्थी के मुहूर्त में मेरठ में तराशी जा रही मूर्तियां अब सात समंदर पार तक छाने को तैयार हैं। मेरठ की कंपनी 25 हजार गणेश मूर्तियां अक्टूबर तक आस्ट्रेलिया भेजेगी, जिनका प्रयोग दीपावली पर होगा। ये वाटरप्रूफ होने के साथ पर्यावरण के भी अनुकूल हैं।
मूर्तियों का गढ़ बना मेरठ
मेरठ को रेजिंग की मूर्तियों (संगमरमर व विशेष प्लास्टिक से तैयार) का गढ़ माना जाता है। वेदव्यासपुरी में आरके हैंडीक्राफ्ट में रात-दिन गणेश मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। 150 से ज्यादा कारीगर हर माह दस हजार से ज्यादा मूर्तियां बनाते हैं, किंतु त्योहारी मौसम में यह औसत दोगुना हो गया है। आस्ट्रेलिया की एक एजेंसी ने मेरठ की कंपनी को 25 हजार मूर्तियों का आर्डर दिया है।
संगमरमर के चूरे से होती है साज-संवार
राजस्थान के सफेद संगमरमर का पाउडर एक विशेष रसायन में भिगोकर सांचे में ढाला जाता है। इसके बाद मूर्ति की रंगाई और नग जड़ने का पूरा काम हाथ से किया जाता है। गणेश की सूंड पर चीन से मंगाए नग लगाए जाते हैं, जिन्हें अब मेरठ में ही बनाने की तैयारी है। ये मूर्तियां गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, दशहरा व दीवाली तक बाजार की रौनक बनी रहेंगी।
बुद्ध प्रतिमा के लिए भी खुल रहा विदेशी बाजार
भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के लिए कंबोडिया, थाईलैंड, चीन एवं जापान में बाजार बढ़ रहा है। वहां की कई एजेंसियों ने मेरठ से संपर्क साधा है। चीन में खूब बिकने वाली परी कपल की मूर्तियों को अब मेरठ में बनाया जा रहा है। कंपनी के पार्टनर अनिल शर्मा गोल्डी कहते हैं कि फव्वारा मूर्तियां देशभर में तेजी से मशहूर हो रही हैं। अन्य पार्टनर जितेंद्र शर्मा एव संजीव त्यागी कहते हैं कि इंदौर मूर्तियों का सबसे बड़ा खरीदार है। क्वालिटी कंट्रोल इंचार्ज प्रशांत सीए की पढ़ाई छोड़कर गणेश मूर्तियों के कारोबार में उतर गए। वह कंप्यूटर से नई डिजाइन पर काम करते हैं।
आरके हैंडीक्राफ्ट के पार्टनर अनिल शर्मा ने बताया कि आस्ट्रेलिया की एक एजेंसी से 25 हजार गणेश मूर्तियों का आर्डर मिला है, जिस पर दिन रात काम हो रहा है। हर माह करीब पांच टन संगमरमर पाउडर की खपत होती है। 2019 तक 255 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है। बौद्ध धर्म वाले देशों में भी बुद्ध प्रतिमा के निर्यात की बातचीत चल रही है।