साहित्य के सहारे इतिहास से रूबरू करा रहे गांधी
साहित्य में जहां कुछ लोग कल्पना को भी आधार बनाते हैं वहीं इतिहास के तथ्यों को साहित्य के सहारे सामने लाने की कोशिश में जुटे हैं एके गांधी। इतिहास जैसे विषय को अनूठी शैली में नई पीढ़ी से रूबरू भी करा रहे हैं।
विवेक राव, मेरठ : साहित्य में जहां कुछ लोग कल्पना को भी आधार बनाते हैं, वहीं इतिहास के तथ्यों को साहित्य के सहारे सामने लाने की कोशिश में जुटे हैं एके गांधी। इतिहास जैसे विषय को अनूठी शैली में नई पीढ़ी से रूबरू भी करा रहे हैं।
भारत लंबे समय तक विदेशी ताकतों के अधीन रहा। इसके चलते विदेशी लेखकों ने अपने तरीके से भारत के इतिहास को तोड़मरोड़ कर वास्तविक तथ्य को सामने नहीं आने दिया। डा. एके गांधी भी देश के गौरव को बढ़ाने वाले इतिहास के उन्हीं दबे तथ्यों को सामने लाने का प्रयास अपने साहित्य के माध्यम से कर रहे हैं। 1857 क्रांति और क्रांतिधरा पुस्तक में अनकहे नायकों को सामने लाने का प्रयास किया। प्रताप, शिवाजी और छत्रसाल को लोग अलग-अलग तरीके से देखा करते थे। एके गांधी ने पहली बार अपनी पुस्तक में इनकी नीतियों और रणनीतियों की तुलना कर तीनों को एक साझी विरासत को आगे बढ़ाने वाला माना। यह पुस्तक मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कक्षा 11 वीं के पाठ्यक्रम में शामिल की गई। मध्य प्रदेश में बेस्ट सेलर भी यह पुस्तक रही। मेरठ क्रांति से जुड़ी स्वामी दयानंद और 1857 की क्रांति के माध्यम से उन्होंने पहली बार यह तथ्य सामने रखा कि क्रांति के समय जिस साधू की बात होती है, वह कोई और नहीं स्वामी दयानंद ही थे। मेंटर भी बनें गांधी
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देश में युवा लेखन योजना का ज्यूरी बनाया गया। जिसमें देश भर के ऐसे अनकहे नायकों पर पुस्तकें लिखने के लिए कहा गया था। देश भर से 20 हजार से अधिक लोगों ने इसमें प्रविृष्टियां भेजी थी। जिसमें से 75 युवा लेखकों को चुना गया। एके गांधी को हिदी वर्ग के लेखकों के लिए मेंटर भी नियुक्त किया गया है। पाठक निर्दोष हैं
डा. एके गांधी कहते हैं कि साहित्य हो या लेखन को कोई भी विधा। इसमें अगर पाठक वर्ग कम हो रहा है, तो उसके लिए हम केवल पाठक वर्ग को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। अगर तथ्य और कथ्य नए होंगे। लेखन सरल और प्रवाही होगा तो युवा वर्ग उससे निश्चित तौर पर जुड़ेगा।