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विडंबना : जिम्मेदारियों से झुके कंधों को नहीं मिले चार कंधे, कोरोना संक्रमित पिता का जैसे-तैसे हुआ अंतिम संस्‍कार Meerut News

कोरोना ने जीते जी तो दुश्वारियां बढ़ाई ही हैं अंतिम सफर को भी दुष्कर कर दिया। जीवनभर अपनों की जिम्मेदारियों के बोझ से उनके कंधे दबे रहे।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 11:15 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 11:15 AM (IST)
विडंबना : जिम्मेदारियों से झुके कंधों को नहीं मिले चार कंधे, कोरोना संक्रमित पिता का जैसे-तैसे हुआ अंतिम संस्‍कार Meerut News
विडंबना : जिम्मेदारियों से झुके कंधों को नहीं मिले चार कंधे, कोरोना संक्रमित पिता का जैसे-तैसे हुआ अंतिम संस्‍कार Meerut News

मेरठ, [सुशील कुमार]। कोरोना ने जीते जी तो दुश्वारियां बढ़ाई ही हैं, अंतिम सफर को भी दुष्कर कर दिया है। जीवनभर अपनों की जिम्मेदारियों के बोझ से उनके कंधे दबे रहे लेकिन अपने अंतिम सफर पर निकलते वक्त चार अदद कंधों का इंतजार करते रहे। खता इतनी सी थी कि नामुराद कोरोना उनकी जिंदगी पर भारी पड़ा था। बेशक, यह ‘दूरी’ मन की नहीं बल्कि तन की थी लेकिन अनमोल जीवन को बचाने की जद्दोजहद रिश्ते-नाते और भावनाओं पर भारी पड़ती दिखी।

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तीन लोगों ने शव उठाया

भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल के किशनपुरा निवासी सहायक के 55 वर्षीय पिता गुरुवार रात कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए थे। शुक्रवार को उनका शव एंबुलेंस से सूरजकुंड श्मशान घाट पहुंचाया। दोनों पुत्र व परिवार के खास लोग क्वारंटाइन होने के कारण अंतिम यात्रा में नहीं जा सके। 10-15 लोग पहुंचे, वे भी दूरी बनाकर रहे। अब शव को एंबुलेंस से चिता तक ले जाना था लेकिन चार लोग पूरे नहीं हो सके। तीन लोगों ने शव को उठाया।

पंडित ने भी किया मना

संतुलन बिगड़ने के कारण कई बार शव डगमगाया। किसी तरह शव को चिता पर रख दिया लेकिन इस चिता पर किसी अन्य का अंतिम संस्कार होना था। बाद में इसी चिता पर अंतिम संस्कार किया। वहीं इंस्पेक्टर सिविल लाइन अब्दुर रहमान सिद्दीकी का कहना है कि शव का दाह संस्कार करने के लिए पंडित ने मना कर दिया था। किसी तरह समझाकर सील हुए शव का अंतिम संस्कार कराया गया।

दूर से ही दाह संस्‍कार की प्रक्रिया

इस दौरान पंडित निशांत शर्मा ने साफ कह दिया कि प्रशासन ने सुरक्षा किट आदि का इंतजाम नहीं किया है, लिहाजा वह अंतिम संस्कार नहीं कराएंगे। लोग अंतिम संस्कार की दान दक्षिणा भी नहीं दे रहे हैं। सिविल लाइन और रेलवे रोड पुलिस ने समझाया कि डरने की बात नहीं, शव सील है। इस पर पंडित ने कह दिया-मुझे जेल जाना मंजूर है पर अंतिम संस्कार नहीं करा सकता। समझाने पर पंडित ने दूर से दाह संस्कार प्रक्रिया पूरी कराई। इस दौरान तीन अन्य अंतिम संस्कार भी होने थे लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर सभी को पुलिस ने एक घंटे बाहर ही रोक दिया। अंतिम संस्कार पूरा होने के बाद ही उन्हें अंदर जाने दिया।

भाई ने लगाए प्रशासन पर आरोप

मृतक के भाई का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में कोई भी मरीज को देखने के लिए नहीं आता है। शव के पास किसी को नहीं जाने दिया गया। करीब पांच घंटे की जद्दोजहद के बाद भाई का शव मिल पाया। इतने गंभीर हालात के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया है।


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