Move to Jagran APP

जहा से चार लड़किया ओलिंपिक में, वहा कोच न उपकरण

जिस स्टेडियम से जेवलिन थ्रोअर अन्नू रानी ओलिंपिक तक पहुंच गईं वहा अब बास की जेवलि

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 10:15 AM (IST)
जहा से चार लड़किया ओलिंपिक में, वहा कोच न उपकरण
जहा से चार लड़किया ओलिंपिक में, वहा कोच न उपकरण

मेरठ,जेएनएन। जिस स्टेडियम से जेवलिन थ्रोअर अन्नू रानी ओलिंपिक तक पहुंच गईं, वहा अब बास की जेवलिन से प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। मेरठ की तीन लड़किया अन्नू रानी, प्रियंका व सीमा पूनिया एथलेक्टिस और वंदना कटारिया हाकी में अपनी प्रतिभा दिखाते हुए ओलिंपिक तक पहुंच गईं, लेकिन यहा उपकरणों का खजाना खाली है, न ही कोई स्थायी कोच मिला। एथलीट प्रैक्टिस के लिए हरियाणा के सोनीपत, पानीपत और रोहतक जैसे शहरों में जाने को मजबूर हैं खिलाड़ी। मेरठ में वार्म जोन समेत कम से कम तीन सिंथेटिक ट्रैक की जरूरत है, वहीं, बाक्सिंग, कुश्ती और क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में स्थायी कोच नहीं मिलते।

loksabha election banner

अर्जुन अवार्डी रेसलर अलका तोमर कहती हैं कि मेरठ में खेल प्रतिभाएं पिछले 40 साल से क्षमता साबित कर रही हैं, लेकिन यहा एक स्टेडियम तक नहीं मिला। दर्जनों अंतरराष्ट्रीय एथलीटों ने ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। उन्हें पदक तो खूब मिले, लेकिन कोच और नौकरी नहीं मिली। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में सभी इवेंट के खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं, ऐसे में एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का कोई फायदा नहीं होगा। सन 2011 में बीके बाजपेयी एथलेटिक्स के अंतिम स्थायी कोच थे। अन्नू रानी, प्रियंका और पारुल ने इसी दौरान पदक जीतना शुरू किया था।

-------------------

खेल स्थायी कोच की स्थिति

- एथलेटिक्स कोई स्थायी कोच नहीं

- बैडमिंटन कोई स्थायी कोच नहीं

- तैराकी कोई कोच नहीं

- हाकी कोई कोच नहीं

- शूटिंग कोई स्थायी कोच नहीं

- कबड्डी कोई स्थायी कोच नहीं

- क्रिकेट लक्ष्यराज त्यागी

- बाक्सिंग भूपेंद्र सिंह

- कुश्ती जयप्रकाश

------------- कहीं उपकरणों में जंग लगी तो कोई जेवलिन ले भागा

कैलाश प्रकाश स्टेडियम में हाल में खेली गई नार्थ जोन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए 40 हर्डेल की मरम्मत कराई गई। क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी आले हैदर ने प्रशासन के सहयोग से महंगी जेवलिन मंगवाई। उसे एक एथलीट अपने घर लेकर चला गया। अब अन्नू के पूर्व कोच संदीप यादव बास की जेवलिन से खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करवा रहे हैं। इतना ही नहीं, खेलकूद के कई महंगे उपकरण रखरखाव के अभाव में खराब हो गए।

------------- यूपी में सिर्फ चार सिंथेटिक ट्रैक, तीन लखनऊ व एक इटावा में

मेरठ में लंबे समय से सिंथेटिक ट्रैक की माग उठी, लेकिन सरकारों ने ध्यान ही नहीं दिया। प्रदेश में लखनऊ में तीन और सैफई में एक ट्रैक है, जबकि पड़ोसी हरियाणा के हर जिले में ट्रैक बिछाया गया है। साई ने भी प्रदेश में ज्यादातर केंद्रों को बंद कर दिया। कोच भी संविदा पर रखे जा रहे हैं।

--------------

इनका कहना है..

हैरानी की बात है कि खेल सुविधाओं के बिना मेरठ ने एथलेटिक्स, कुश्ती, जूडो, निशानेबाजी, तीरंदाजी व हाकी में विश्वस्तरीय खिलाड़ी पैदा किए हैं। आज एथलेटिक्स में युवाओं का रुझान बढ़ा है, लेकिन उपकरण व कोच ही नहीं। सन 2024 व 2028 के ओलिंपिक में पदक जीतना है तो सरकार अभी तत्काल से इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए।

- अलका तोमर, अर्जुन अवार्डी रेसलर मेरठ पिछले साल खेलो इंडिया प्रोजेक्ट में चयनित हुआ। ऐसे में उम्मीद जगी है लेकिन वर्तमान हालात भयावह हैं। अगस्त में एथलेटिक्स का जूनियर फेडरेशन और तत्काल बाद ओपन नेशनल होगा, लेकिन सिंथेटिक न होने से बारिश में एथलीट प्रैक्टिस नहीं कर सके। सभी खेलों में स्थायी कोच मिलें। एथलेटिक्स के लिए मेरठ में तीन सिंथेटिक ट्रैक जरूरी हैं।

- अन्नू कुमार, पूर्व अंतरराष्ट्रीय एथलीट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.