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सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर, एसपी सिटी तक ने खाकी की दागदार

बिजली कर्मचारी को अवैध हिरासत में रख जबरन बैनामा कराने के मामले की जांच पूरी। एसपी सिटी सहारनपुर ने की जांच, अलग-अलग आरोपों में ठहराए गए दोषी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 10:00 AM (IST)
सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर, एसपी सिटी तक ने खाकी की दागदार
सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर, एसपी सिटी तक ने खाकी की दागदार

मेरठ। देहरादून के बिजली कर्मचारी को अवैध हिरासत में रखकर उसकी जमीन का जबरन बैनामा कराने तथा झूठा मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट लगाने के मामले में पूर्व एसपी सिटी से लेकर सिपाही तक दोषी पाए गए हैं। इनमें मेरठ व सहारनपुर क्राइम ब्रांच के तीन पूर्व इंस्पेक्टर, लालकुर्ती थाने के पूर्व एसओ व दारोगा भी शामिल हैं।

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उत्तराखंड के जल विद्युत निगम में कार्यालय सहायक शशांक चौधरी की मेरठ कॉलेज के पास कुटिया चौराहा पर प्रॉपर्टी थी। उक्त प्रॉपर्टी को बेचने का सौदा पार्षद पति जरनैल सिंह व उसके पार्टनर्स के साथ हुआ था। उक्त लोगों ने पूरा पैसा दिए बिना उसके खिलाफ दिसंबर 2015 में लालकुर्ती थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया था। यह मुकदमा पूर्व एसपी सिटी ओपी सिंह के आदेश पर हुआ। दो राज्यों की पुलिस जीडी में अलग-अलग ब्योरा

शशांक का कहना है कि लालकुर्ती थाने के दारोगा राम विलास यादव व सिपाही नाजिम ने 25 दिसंबर 2015 को देहरादून से उन्हें गिरफ्तार किया। जिले के विकास नगर थाने की जीडी में उनकी गिरफ्तारी दिखाई, जबकि लालकुर्ती थाने में खाली हाथ लौटना दर्शाया। पुलिस ने उसे अवैध हिरासत में रखा और अगले दिन जमीन की रजिस्ट्री कराकर छोड़ दिया। गलत जांच का समर्थन करने वाले भी फंसे

शशांक चौधरी ने राज्यपाल, आइजी गढ़वाल, डीजीपी हेड क्वार्टर लखनऊ, एसएसपी मेरठ से पूरे मामले की शिकायत की। दोषी पुलिसकर्मी सांठ-गांठ कर बचने की कोशिश करने लगे तो एडीजी कानून-व्यवस्था से अग्रेसर विवेचना की अर्जी लगाई। मामले की जांच सितंबर 2017 में एसपी सिटी सहारनपुर प्रबल प्रताप सिंह को दे दी गई। उन्होंने अपनी जांच में इन लोगों को दोषी पाया है।

इन्हें इस आरोप में ठहराया दोषी ओपी सिंह पूर्व एसपी सिटी : 40 दिन तक प्रार्थना पत्र लंबित रखने के बाद भी किसी प्रकार की कोई अभिलेखीय जांच नहीं कराई। वादी-प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए, इस आधार पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए। महेंद्र सिंह तोमर पूर्व निरीक्षक मेरठ क्राइम ब्रांच : इनके द्वारा 22 अप्रैल 2016 से 10 जुलाई 2016 तक विवेचना के दौरान सही तथ्यों की जानकारी नहीं ली। बिना पक्ष सुने प्रेषित चार्जशीट का समर्थन किया। सुशील कुमार दूबे पूर्व निरीक्षक सहारनपुर क्राइम ब्रांच: इनके द्वारा 29 जून 2016 को विवेचना ग्रहण की गई। 16 अगस्त 2016 तक एक भी पर्चा नहीं काटा। नरेंद्र कुमार खत्री पूर्व निरीक्षक मेरठ क्राइम ब्रांच: इन्होंने 17 अगस्त 2016 को विवेचना ग्रहण की। तथ्यों की जांच किए बिना चार्जशीट का समर्थन करते हुए 31 अगस्त 2016 को अग्रसारित कर दी गई। लालकुर्ती थाने के पूर्व एसओ प्रदीप त्रिपाठी, दारोगा राम मिलन यादव और सिपाही नाजिम : वादी पक्ष से मिलकर दबाव डालकर शशांक चौधरी को अवैध हिरासत में रखा। प्रताड़ित कर उनसे जबरन बैनामा कराया।


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