सेवानिवृत्त से लेकर गर्भवती तक की लगा दी ड्यूटी
लोकसभा चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। इसका हिस्सा बनने के लिए सरकारी कर्मचारी और अधिकारी आतुर हैं लेकिन जिन लोगों की वास्तव में समस्या और मजबूरी है जिला प्रशासन को उनकी बात भी सुननी चाहिए।
मेरठ । लोकसभा चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। इसका हिस्सा बनने के लिए सरकारी कर्मचारी और अधिकारी आतुर हैं, लेकिन जिन लोगों की वास्तव में समस्या और मजबूरी है, जिला प्रशासन को उनकी बात भी सुननी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार पोलिंग पार्टियों के गठन और ड्यूटी में बेहिसाब लापरवाही सामने आई है। बड़ी संख्या में सेवानिवृत्तकर्मियों की ड्यूटी लगा दी गई है। दो-दो ड्यूटी वाले भी तमाम हैं। कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है तो किसी कर्मचारी के माता-पिता आदि परिजन की हाल ही में मृत्यु हो गई है। वह शोक में है। दुर्घटना में गंभीर घायल होकर इलाज कराने वाले कर्मचारी भी कम नहीं हैं।
ड्यूटी लगाने में हुई अनियमितता और लापरवाही से राहत पाने के लिए कर्मचारी-अधिकारी डीएम, सीडीओ समेत तमाम जिम्मेदार अफसरों के कार्यालयों में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिल पा रही है। पहली बार पोलिंग पार्टियों के गठन में ऐसी अनियमितता और लापरवाही सामने आई है। तमाम सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में तैनात कर दिया गया है। अब वे सेवानिवृत्ति का प्रमाणपत्र लेकर घूम रहे हैं। बड़ी संख्या ऐसे कर्मचारी भी है जो बीएलओ हैं और उन्हें मतदान की ड्यूटी में भी लगा दिया गया है। कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है और ड्यूटी नहीं कर सकती। किसी का बच्चा छोटा है और पति बाहर है। कई मामले ऐसे भी हैं कि पति और पत्नी दोनों की चुनाव ड्यूटी लगा दी गई है। उनके बच्चे छोटे छोटे हैं। एक की ड्यूटी काटने की गुहार कोई सुनने को तैयार नहीं है। कई कर्मियों के वृद्ध माता पिता कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों के शिकार हैं। एक दो मामले ऐसे भी सामने आए हैं कि कर्मचारी को हाल ही में मातृ-पितृ शोक हुआ है और उनकी तेरहवी मतदान दिवस के आगे पीछे ही है। दर्जन भर कर्मचारी दुर्घटना के शिकार होकर गंभीर घायल हैं। उनके हाथ-पैर में फ्रैक्चर है। वे प्लास्टर लगवाकर ड्यूटी से मुक्ति की गुहार लेकर घूम रहे हैं।
प्रार्थनापत्र तो दे दो, पर ट्रेनिंग ले लो
परेशान लोग डीएम ऑफिस जाते हैं तो उन्हें वहां से प्रभारी कार्मिक सीडीओ के कार्यालय भेज दिया जाता है। वहां सीडीओ का मिल पाना मुश्किल होता है। उनके कार्यालय के कर्मचारी आवेदन तो ले रहे हैं, लेकिन कोई प्राप्ति रसीद नहीं दी जा रही है। साफ साफ कहा जा रहा है कि ड्यूटी नहीं कटेगी। आप प्रशिक्षण ले लो।
महिलाओं की देहात में और पुरुषों की शहर में ड्यूटी
ड्यूटी लगाते समय महिला कर्मचारियों को भी ध्यान में नहीं रखा गया। शिक्षक और अन्य विभागों की महिला कर्मचारियों की ड्यूटी दूर दराज के गांवों में बने बूथों में लगा दी गई है, जबकि पुरुष शिक्षक और कार्मिकों को शहरी क्षेत्र में ड्यूटी दे दी गई है। इस अनियमितता से कार्मिकों में रोष भी है।
फार्मासिस्टों की ड्यूटी का विरोध
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र भेजकर अस्पताल के अधिकांश फार्मासिस्टों की ड्यूटी लगा दिए जाने पर आपत्ति की है। उन्होंने कहा है कि चुनाव ड्यूटी से मुक्त नहीं किया गया तो मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी। वहीं मेरठ कालेज के एक शिक्षक ने यह कहकर ड्यूटी लेने से इंकार कर दिया है कि कालेज के तमाम शिक्षकों के नाम ड्यूटी लगाते समय छिपा लिए गए। साथ ही ड्यूटी कर्मचारी की ग्रेड पेय के मुताबिक लगाई जाए।
इन्होंने कहा-
सेवानिवृत्त कर्मियों की ड्यूटी लगा दिए जाने की जानकारी मिली है। डबल ड्यूटी, मेडिकल व अन्य समस्याओं की सुनवाई के लिए अलग अलग अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। कर्मचारी अपनी समस्या उन्हें बताएं। यदि वास्तविक समस्या है तो राहत जरूर मिलेगी। जल्द ही मेडिकल बोर्ड भी बैठेगा। ड्यूटी कर पाने में असमर्थ लोगों से जबरदस्ती नहीं होगी।
अनिल ढींगरा, जिला निर्वाचन अधिकारी