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मां शाकंभरी विश्वविद्यालय में होगी नैनो साइंस से लेकर न्यूक्लियर मेडिसिन तक की पढ़ाई

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर विशेष मां शाकंभरी विश्वविद्यालय सहारनपुर में स्टेम सेल एंड टिश्यू इंजीनियरिंग से लेकर सिस्टम बायोलाजी और बायो इन्फार्मेटिक्स समेत कई अत्याधुनिक कोर्स होंगे संचालित। यह ऐसे कोर्स होंगे जिनमें प्रवेश हर छात्र का सपना होगा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 11 May 2022 12:45 PM (IST)Updated: Wed, 11 May 2022 12:45 PM (IST)
मां शाकंभरी विश्वविद्यालय में होगी नैनो साइंस से लेकर न्यूक्लियर मेडिसिन तक की पढ़ाई
मां शाकंभरी विश्वविद्यालय सहारनपुर में विज्ञान तथा तकनीक से संबंधित नवीनतम पाठ्यक्रमों को डिजाइन किया गया है।

सहारनपुर, अश्वनी त्रिपाठी। मां शाकंभरी विश्वविद्यालय शिवालिक की चोटियों पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नई पताका लहराने की ओर बढ़ चुका है। राज्य विश्वविद्यालय परंपरागत शिक्षा के साथ ही विज्ञान तथा तकनीक के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता बनाना चाहता है। इसके लिए विज्ञान तथा तकनीक से संबंधित नवीनतम पाठ्यक्रमों को डिजाइन किया गया है। यह ऐसे कोर्स होंगे, जिनमें प्रवेश हर छात्र का सपना होगा। ऐसे अत्याधुनिक तकनीकी पाठ्यक्रमों की सूची लगभग तैयार हो चुकी है। प्रथम चरण का निर्माण पूरा होते ही यह कोर्स संचालित होने लगेंगे।

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ये होंगे फैकल्टी आफ साइंस के प्रमुख भाग

-स्कूल आफ नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नालोजी : यहां अणु व परमाणु इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे, जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फार्मेटिक्स व बायो टेक्नोलाजी को आपस में जोड़कर विज्ञान को जनहितकारी बनाएंगे।

-स्कूल आफ न्यूक्लियर मेडिसिन : न्यूक्लियर मेडिसिन चिकित्सकीय जांच तकनीक में कोशिका की फिजियोलोजी और बायोलोजी में आ रहे परिवर्तन के आधार पर चिकित्सा की जाती है। इस डिपार्टमेंट में इस तकनीक के विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे।

-स्कूल आफ स्टेम सेल एंड टिश्यू इंजीनियरिंग : टिश्यू इंजीनियरिंग जैविक विकल्प के विकास की दिशा में इंजीनियरिंग और जीवन विज्ञान के सिद्धांतों को लागू करता है, यह ऊतक समूह या पूरे अंग को बहाल, रखरखाव या सुधार करता है। इस डिपार्टमेंट में स्टेमसेल एंड टिश्यू टेक्नालाजी से जुड़े विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे।

-स्कूल आफ सिस्टम बायोलोजी एंड बायो इन्फार्मेटिक्स : सिस्टम बायोलोजी जटिल जैविक प्रणालियों का कम्प्यूटेशनल और गणितीय विश्लेषण और माडलिंग है। इसमें जीव विज्ञान आधारित अध्ययन, जैविक अनुसंधान तथा जैविक प्रणालियों के भीतर की जटिल अंतःक्रियाएं शामिल होती हैं। वहीं बायो इन्फार्मेटिक्स के अंतर्गत जैव सूचना का अर्जन, भंडारण, संसाधन आदि कार्य आते हैं। इसमें जीव विज्ञान, सूचना तकनीक तथा गणित का साझा प्रयोग किया जाता है। इस डिपार्टमेंट में मानव जीवन से जुड़े ऐसे ही विद्यार्थी प्रशिक्षित किए जाएंगे।

-स्कूल आफ एंथ्रोपालजी : एंथ्रोपोलोजी विज्ञान में मानव विकास का अध्ययन किया जाता है। एंथ्रोपोलोजी डिपार्टमेंट में मानव विकास विज्ञान की पढ़ाई कराई जाएगी।

-स्कूल आफ बायो केमिस्ट्री : बायो केमिस्ट्री में जीवित जीवों के रसायन विज्ञान और जीवित कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तनों के आणविक आधार का अध्ययन किया जाता है। इस डिपार्टमेंट में प्रशिक्षित बायोकेमिस्ट तैयार किए जाएंगे।

-स्कूल आफ बायो फिजिक्स: बायो फिजिक्स में शरीर के जटिल अंग जैसे मस्तिष्क, रक्त संचालन, प्रतिरक्षा प्रणाली का संचालन सिखाया जाता है। इसमें ऐसे तरीकों का आविष्कार किया जाता है, जिनसे रोगों का खात्मा हो सके। यहां ऐसे विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे जो जैव विज्ञान के लिए नए टूल्स बना सकें।

-स्कूल आफ माइक्रोबायल बायोटेक्नालोजी : इसमें वाणिज्यिक या बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से मूल्यवान उत्पाद या गतिविधि प्राप्त करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग करना सिखाया जाता है। औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किए जाने वाले सूक्ष्मजीव प्राकृतिक, प्रयोगशाला आदि से संबंधित तकनीक की शिक्षा इस विभाग में दी जाएगी।

साइंस के यह अत्याधुनिक डिपार्टमेंट भी खुलेंगे-

-स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ

-स्कूल आफ बायो टेक्नोलोजी

-स्कूल आफ बाटनी

-स्कूल आफ केमिस्ट्री

-स्कूल आफ कम्प्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन

-स्कूल आफ एनवायरमेंटल स्टडीज

-स्कूल आफ जूलोजी

-स्कूल आफ मैथमेटिक्स

-स्कूल आफ माइक्रोबायोलोजी

-स्कूल आफ फिजिक्स

-स्कूल आफ स्टेटिक्स

-स्कूल आफ फारेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलोजी

मां शाकंभरी विश्वविद्यालय के प्रथम चरण का कार्य प्रगति पर है, पाठ्यक्रम चयन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है, यह प्रयास है कि शाकंभरी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर का बनाया जाए, ताकि यहां पर संचालित किए जाने वाले डिग्री, डिप्लोमा तथा अन्य कोर्सों का समाज को पूरा लाभ मिले, यहां दी जाने वाली शिक्षा रोजगारपरक हो, इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर यहां भविष्य में पढ़ाए जाने वाले विषयों का चयन किया जा रहा है।

-डा. एचएस सिंह, कुलपति, मां शाकंभरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर

 


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