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Special on world ivf day: आज शुक्राणु फ्रीज करा लिया...जब चाहा बच्चा पैदा किया

डा. सुनील जिंदल का कहना है कि वो अब तक बड़ी संख्या में दंपतियों का शुक्राणु-अंडाणु फ्रीज कर उन्हें संतानसुख दे चुके हैं। अब ये ट्रेंड प्रचलन में है।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 05:48 PM (IST)
Special on world ivf day: आज शुक्राणु फ्रीज करा लिया...जब चाहा बच्चा पैदा किया
Special on world ivf day: आज शुक्राणु फ्रीज करा लिया...जब चाहा बच्चा पैदा किया

मेरठ, जेएनएन। Special on world ivf day मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली 25 साल की महिला दस साल बाद बच्चा चाहती है। उसने क्रायोफ्रीजिंग तकनीक पर भरोसा किया और अंडाणु फ्रीज करा लिया। कैंसर के मरीज ने भी शुक्राणु फ्रीज करा लिया, जिससे उसे भविष्य में अपनी संतान मिल सके, कारण कैंसर के इलाज के दौरान रेडियो और कीमोथेरपी से शुक्राणु खत्म हो जाते हैं। इस तकनीक से भागती-दौड़ती जिदंगी में जब चाहें बच्चा पा सकते हैं।

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एंड्रोलाजिस्ट बताते हैं

विश्व आइवीएफ डे यानी जिस दिन दुनिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म हुआ। चिकित्सा जगत में इस तकनीक ने संतान पाने की नई उम्मीदें खोल दी। एंड्रोलाजिस्ट डा. सुनील जिंदल का कहना है कि वो अब तक बड़ी संख्या में दंपतियों का शुक्राणु-अंडाणु फ्रीज कर उन्हें संतानसुख दे चुके हैं। क्रायोफ्रीजिंग तकनीक के तहत -196 डिग्री पर अंडाणु-शुक्राणु फ्रीज किया जाता है। इसमें अंडाणु का पानी निकाल दिया जाता है जिससे इसकी एक्टिवटी खत्म हो जाती है। 15-20 साल बाद जब चाहें, ईवीएफ और इक्सी विधि से भ्रूण को गर्भाशय में रख दिया जाता है। डाक्टरों ने बताया कि अगर किसी युवती ने 25 साल की उम्र में अंडाणु फ्रीज कराया और 40 साल की उम्र में बच्चे पैदा कर रही है तो इस बच्चे में 25 साल की महिला से पैदा होने वाले गुणधर्म होंगे। यानी अनुवांशिक बीमारियां कम होंगी।

भ्रूण का विकार भी दूर कर सकते हैं

प्री इंप्लांटेशन जेनेटिक डाइग्नोसिस विधि से भ्रूण की कोशिकाओं में बीमारी का पता कर लिया जाता है। 38 साल से ज्यादा उम्र, कई बार गर्भपात और अन्य वजहों से क्रोमोसोम में विकार हो सकता है, जिसकी जांच कर इस विकार हो दूर करके गर्भाशय में रोपित कर देते हैं। ऐसे में शिशु में बीमारी नहीं होगी।

इनका कहना है

अब तकनीक इतना आगे पहुंच चुकी है, जहां स्पर्म न होने पर भी इसे अंडकोष से खोजकर व्यक्ति को पिता बनाया जा सकता है। क्रायोफ्रीजिंग आज के युवक-युवतियों और मरीजों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है, जहां वो जब चाहें, संतान पैदा कर रहे हैं। भविष्य में क्रिस्पर विधि से भ्रूण में बीमारी जड़ से खत्म की जा सकेगी। चिकित्सा में बड़ी क्रांति तब होगी, जब स्टेम सेल से भी लोग संतान पा सकेंगे।

- डा. सुनील जिंदल, वरिष्ठ एंड्रोलाजिस्ट


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