सेना के जवानों पर पत्थरबाजी के लिए हमें मजबूर किया, पथराव न करने पर मारा-पीटा
सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करने का बनाया जाता था दबाव, पत्थरबाजी न करने पर बेरहमी से मारा-पीटा।
मेरठ जेएनएन। तीन माह से कश्मीर में पत्थरबाजों की कैद में रहे उप्र के बागपत और सहारनपुर जनपद के छह युवक किसी तरह छूटकर भाग निकले। पीड़ित युवकों ने बताया कि वे कश्मीर में सिलाई की फैक्ट्री में नौकरी करने गए थे, लेकिन फैक्ट्री मालिक ने कश्मीरियों की मदद से उन्हें बंधक बना लिया और उन्हें सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करने को मजबूर किया। पथराव न करने पर उनकी पिटाई की जाती थी।
बागपत के बड़ौत नगर स्थित गुराना रोड पर रहने वाले मो. नसीम ने बताया कि वह इसी साल फरवरी माह के अंत में बालैनी थाना क्षेत्र के डोलचा गाव निवासी शमीम, ढिकाना गाव निवासी अंकित, सहारनपुर जनपद के नानौता निवासी मोहम्मद अजीम राव, नकुड़ निवासी बबलू और पंकज के साथ कश्मीर के पुलवामा के लस्तीपुरा गए थे। वहा उन्हें एक फर्म में सिलाई की नौकरी मिली थी। उसी फैक्ट्री में कश्मीर के कई युवक काम करते थे। फैक्ट्री मालिक ने उन पर पत्थरबाजी का दबाव बनाया। कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकाउंटर करते थे तो आतंकवादी गाव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में शरण ले लेते थे। उसके बाद कश्मीरी ग्रामीण सेना का ध्यान भटकाने के लिए उन पर पत्थरबाजी शुरू कर देते थे। नसीम ने बताया कि उनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी थे। परेशान होकर उन्होंने कश्मीर के ही एक व्यक्ति से वहा से निकालने के लिए संपर्क किया। उसने 10 हजार रुपये कश्मीर से निकालने के लिए मागे। इसके बाद वह बमुश्किल दिल्ली आ सके।