डाटा बैंक से संरक्षित होंगी मेरठ की लोक कलाएं, गोबर आकृति और रागिनी को मिलेगा खास संरक्षण Meerut News
प्रदेश सरकार के संस्कृति पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों को सांस्कृतिक परंपराओं एवं गतिविधियों का अभिलेखीकरण करने का निर्देश दिया है।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मेरठ की पहचान अब हमेशा-हमेशा के लिए संरक्षित रहेगी। आने वाली पीढ़ी यहां के सांस्कृतिक इतिहास से परिचित होगी। यही नहीं, अब लुप्त हो रही परंपराओं को संरक्षित भी किया जाएगा। प्रदेश सरकार के संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों को सांस्कृतिक परंपराओं एवं गतिविधियों का अभिलेखीकरण करने का निर्देश दिया है। इसके तहत सभी जिलों में सांस्कृतिक डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही सांस्कृतिक परंपराओं एवं गतिविधियों को सूचीबद्ध किया जाएगा। सांस्कृतिक डाटा बैंक के अंतर्गत लोकनृत्य, लोक गायन, मेले व तीज-त्योहार को संग्रहित किया जाएगा। शासन के आदेश पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
ये समिति तैयार करेगी डाटा बैंक
डाटा बैंक तैयार करने के लिए बनाई गई समिति के जिलाधिकारी अध्यक्ष हैं। मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष। इसके साथ ही पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग, जिला पंचायत अधिकारी, नगर निगम व नगर पालिका के प्रतिनिधि, आकाशवाणी व दूरदर्शन के नामित प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय व कॉलेज से संगीत कला संकाय के प्रतिनिधि, इतिहास विभाग से नामित प्रतिनिधि, जिलाधिकारी की ओर से नामित तीन विषय विशेषज्ञ इसके सदस्य होंगे। वहीं जिला सूचना अधिकारी इसके सचिव रहेंगे।
गोबर आकृति और रागिनी को मिलेगा खास संरक्षण
सांस्कृतिक धरोहरों से संबंधित सभी चीजें तो संरक्षित होंगी। मगर इसमें दो प्रमुख चीजों को भी खासतौर से शामिल किया गया है। पहला है कि रागिनी। यह यहां की सबसे अधिक सुना जाने वाला लोक गायन है। वहीं गोवर्धन पर बनाई जाने वाली आकृति भी शामिल है।
स्थापत्य में औघड़नाथ और सरधना चर्च
मेरठ की स्थापत्य कला में औघड़नाथ मंदिर, सरधना चर्च समेत शाहपीर मकबरा, खैरनगर दरवाजा, सूरजकुंड मंदिर, घंटाघर, भाई धरमसिंह गुरुद्वारा आदि भवन शामिल किए जाएंगे।
ऐसा होगा डाटा बैंक का वर्गीकरण
प्रथम वर्ग
स्थापत्य, मूर्ति, कुंड, सिक्के, बहुमूल्य, कलाकृतियां
द्वितीय वर्ग
लोक संस्थान, लोक गीत, लोक नृत्य, कृषि जीवन, लोक कथाएं, जिन्हें लोकज्ञान हो और उनकी उम्र 90 वर्ष हो गई हो, लोक चित्रकला, आदिवासी कला, शैल चित्र, जनजातीय परंपरा।