पॉलीथिन-थर्माकोल पर प्रतिबंध के आदेश की उड़ रहीं धज्जियां
प्रदेश में पॉलीथिन और थर्माकोल की बिक्री निर्माण और भंडारण पर प्रतिबंध के आदेश मेरठ में बेअसर हैं। यहां कार्रवाई के नाम पर सिर्फ प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की सात टीमें गठित हैं।
मेरठ। प्रदेश में पॉलीथिन और थर्माकोल की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर प्रतिबंध के आदेश मेरठ में बेअसर हैं। यहां कार्रवाई के नाम पर सिर्फ प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की सात टीमें गठित हैं।
एनजीटी के निर्देश पर शासन ने पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने के लिए दो चरणों में कवायद की थी। गत वर्ष जुलाई में पहले चरण में 50 माइक्रोन से पतली पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद दूसरे चरण में दो अक्टूबर से किसी भी प्रकार की पॉलीथिन और थर्माकोल की वस्तुओं की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर रोक लगाई गई थी। इस आदेश के पालन के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर सात टीमों का गठन किया था। इन टीमों ने अक्टूबर में कार्रवाई की थी। हालांकि कार्रवाई भी छोटे दुकानदारों तक ही सीमित रही।
नवंबर के बाद से अभियान बंद
नवंबर के बाद से तो कार्रवाई कभी-कभार हुई। हालात ये हैं कि पॉलीथिन-थर्माकोल की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। दुकानों और ठेले आदि पर इनका खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है।
बीते सप्ताह मुख्य सचिव ने तलब की थी रिपोर्ट
विधानसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देने के लिए बीते सप्ताह मुख्य सचिव के द्वारा नगर निगम प्रशासन से पॉलीथिन-थर्माकोल के प्रतिबंध के पालन में की गई कार्रवाई का ब्योरा भी तलब किया गया था। इसके बाद भी अधिकारियों की नींद नहीं खुली है।
63 फैक्ट्रियां, कार्रवाई सिफर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो अकेले मेरठ में करीब 50 टन से अधिक पॉलीथिन या कैरीबैग की प्रतिदिन खपत है। इसलिए यहां करीब 63 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जहां पर पॉलीथिन बैग तैयार हो रहे हैं। शासन की सख्ती पर भी फैक्ट्रियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पॉलीथिन-थर्माकोल पर प्रतिबंध है। कार्रवाई के लिए टीमें गठित की गई थीं। कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, इस संबंध में अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी। अभियान चलाने के निर्देश दिए जाएंगे।
अमित सिंह, अपर नगर आयुक्त