कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की आराधना
नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में देवी दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचे। घर-घर पूजन किया गया।
मेरठ, जेएनएन। नवरात्र के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री की आराधना हुई। मंदिरों में सिंह पर सवार देवी दुर्गा का भव्य श्रंगार देखते ही बन रहा था। भक्तों ने शारीरिक दूरी का पालन करते हुए दर्शन किए। कोरोना संक्रमण के चलते प्रसाद, पुष्प आदि चढ़ाने पर पाबंदी रही। घरों में लोगों ने कलश स्थापित कर विधि विधान से पूजन किया। अखंड ज्योति प्रज्वलित की गई। हवन के धूम्र की सुगंध जहां तहां फैली रही। भक्तों ने मिट्टी निíमत देवी की मूíत (सांझी) की स्थापना कर जौ के दाने गोबर में रोपे। यह लोकाचार पश्चिम उत्तर प्रदेश की विशिष्ट पहचान है। देवी के अधिकांश भक्तों ने पहले दिन का व्रत रखा। कई भक्त ऐसे भी हैं जो लगातार नौ दिनों तक व्रत रखेंगे।
औघड़नाथ मंदिर में सुबह नौ बजे कलश पूजन हुआ। मंत्रोच्चार के बीच हुए पूजन में मंदिर समिति के लोगों ने भाग लिया। हलवे का भोग लगाया। सम्राट पैलेस स्थित राजराजेश्वरी मंदिर में सुबह सात से आठ बजे तक कलश पूजन हुआ। यहां 64 योगिनी और 10 महाविद्यालओं का पूजन ब्रह्मचारियों ने मंत्रोच्चार से किया। 10 बजे देवी की आरती हुई। 10 से दो बजे तक दुर्गासप्तशती का पाठ हुआ। दोपहर तीन से छह बजे तक देवी का महापूजन हुआ। शाम आठ से नौ बजे तक महिलाओं ने कीर्तन किया। राधिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि 25 तक लगातार यह अनुष्ठान चलेंगे।
न्यू मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर महादेव मंदिर में देवी के दरबार की छटा अलग ही नजर आ रही थी। पुजारी श्रवण झा ने बताया कि देवी शैलपुत्री का आवाहन किया गया। मंदिर में विराजमान 10 महाविद्याओं का पूजन किया गया। दोपहर में महिलाओं ने शारीरिक दूरी बनाते हुए देवी का गुणगान किया।
जागृति विहार स्थित मंशा देवी मंदिर में एक बार में पांच भक्तों को प्रवेश दिया। पुजारी भगवत गिरि ने सुबह के समय हवन किया। जयदेवीनगर स्थित गोल मंदिर में नवरात्र पर लाइटों की भव्य सजावट होती है। इस बार सजावट अपेक्षाकृत कम की गई है। देवी के गर्भगृह के चारों ओर मंडप में शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए 60 घेरे बनाए गए हैं। मंदिर के बाहर भक्तों की कतारें लगी रहीं। एक बार में 30-30 भक्तों को प्रवेश दिया गया। बुढ़ाना गेट स्थित भाटवाड़ा मंदिर, सदर काली माई मंदिर में विशेष पूजन हुआ।