मेरठ से हवाई उड़ान पर एक कदम और बढ़े,फाइल एएआइ तक पहुंची
मेरठ से प्रयागराज और लखनऊ तक हवाई यात्रा का सपना पूरा होता नजर आ रहा है। इससे संबंधित फाइल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास पहुंच गई है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 11:48 AM (IST)
मेरठ,जेएनएन। मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के बीच हवाई सेवा शुरू करने की दिशा में अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपना काम पूरा कर जिम्मेदारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) को सौंप दी है। नगर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु से हस्ताक्षर होकर फाइल एएआइ के पास पहुंच गई है। अब एएआइ शुक्रवार या सोमवार को मेरठ से उड़ान के दोनों रूट पर बिड लगाने वाली जूम एयर को लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस सौंप देगी।
जूम एयरवेज पूरी करेगा औपचारिकता
इस प्रक्रिया के बाद जैसे ही जूम एयरवेज सहमति की औपचारिकता पूरी कर देगा। इसके बाद एएआइ और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) की एक टेक्निकल कमेटी बनाई जाएगी। इसमें जूम के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कमेटी मेरठ की हवाई पट्टी का दौरा करेगी क्योंकि हवाई पट्टी मेरठ की डेवलप होनी है। यह दौरा मार्च के अंतिम सप्ताह तक संभव होता दिख रहा है।
हवाई पट्टी का होगा दौरा
लखनऊ और प्रयागराज में आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। लिहाजा यह टीम मेरठ की हवाई पट्टी का दौरा कर आवश्यक जरूरतों की सूची तैयार करेगी। चूंकि जूम एयर के पास 50 सीटर विमान है,लिहाजा हवाई पट्टी की मौजूदा लंबाई-चौड़ाई को बढ़ाना होगा। साथ ही वर्तमान की 47 एकड़ भूमि से इतर और जमीन की जरूरत पड़ेगी। एएआइ ने इस स्तर के विमानों के उड़ान के लिए पूर्व में सबमिट रिपोर्ट में 227 एकड़ की भूमि की जरूरत बताई थी।
बाजपेयी के तर्क
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा.लक्ष्मीकांत बाजपेयी का अपना तर्क है। वे 227 एकड़ की बजाए कम भूमि पर ही पट्टी की लंबाई-चौड़ाई बढ़ाकर उड़ान शुरू कराने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि अस्थायी एटीसी टावर और उपलब्ध बिल्डिंग को टर्मिनल बिल्डिंग में इस्तेमाल कर उड़ान शुरू कराई जाए। बाद में चरणबद्ध तरीके से जमीन अधिग्रहण कर इनका स्थायी निर्माण कराया जाए। लेकिन देखना होगा कि डीजीसीए के मानकों के आगे यह तर्क किस तरह टिकते हैं।
वन विभाग की 12 हेक्टेयर भूमि जल्द मिलेगी
डा.लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने बताया कि एयरपोर्ट के लिए चिह्न्ति 12 हेक्टेयर की वन विभाग की भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया को तेज किया गया है। वे गुरुवार को लखनऊ में ही थे और विभागीय प्रक्रियाओं को तेज कराने में व्यस्त रहे। जल्द ही मुख्यमंत्री स्तर से यह काम भी पूरा हो जाएगा।
जूम एयरवेज पूरी करेगा औपचारिकता
इस प्रक्रिया के बाद जैसे ही जूम एयरवेज सहमति की औपचारिकता पूरी कर देगा। इसके बाद एएआइ और डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) की एक टेक्निकल कमेटी बनाई जाएगी। इसमें जूम के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कमेटी मेरठ की हवाई पट्टी का दौरा करेगी क्योंकि हवाई पट्टी मेरठ की डेवलप होनी है। यह दौरा मार्च के अंतिम सप्ताह तक संभव होता दिख रहा है।
हवाई पट्टी का होगा दौरा
लखनऊ और प्रयागराज में आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। लिहाजा यह टीम मेरठ की हवाई पट्टी का दौरा कर आवश्यक जरूरतों की सूची तैयार करेगी। चूंकि जूम एयर के पास 50 सीटर विमान है,लिहाजा हवाई पट्टी की मौजूदा लंबाई-चौड़ाई को बढ़ाना होगा। साथ ही वर्तमान की 47 एकड़ भूमि से इतर और जमीन की जरूरत पड़ेगी। एएआइ ने इस स्तर के विमानों के उड़ान के लिए पूर्व में सबमिट रिपोर्ट में 227 एकड़ की भूमि की जरूरत बताई थी।
बाजपेयी के तर्क
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा.लक्ष्मीकांत बाजपेयी का अपना तर्क है। वे 227 एकड़ की बजाए कम भूमि पर ही पट्टी की लंबाई-चौड़ाई बढ़ाकर उड़ान शुरू कराने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि अस्थायी एटीसी टावर और उपलब्ध बिल्डिंग को टर्मिनल बिल्डिंग में इस्तेमाल कर उड़ान शुरू कराई जाए। बाद में चरणबद्ध तरीके से जमीन अधिग्रहण कर इनका स्थायी निर्माण कराया जाए। लेकिन देखना होगा कि डीजीसीए के मानकों के आगे यह तर्क किस तरह टिकते हैं।
वन विभाग की 12 हेक्टेयर भूमि जल्द मिलेगी
डा.लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने बताया कि एयरपोर्ट के लिए चिह्न्ति 12 हेक्टेयर की वन विभाग की भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया को तेज किया गया है। वे गुरुवार को लखनऊ में ही थे और विभागीय प्रक्रियाओं को तेज कराने में व्यस्त रहे। जल्द ही मुख्यमंत्री स्तर से यह काम भी पूरा हो जाएगा।
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