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CAA Protest : एसआइटी खंगाल रही उपद्रव के केसों की फाइल, शासन स्‍तर पर हो रही मॉनीटरिंग Meerut News

पुलिस की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर को हुई हिंसा की तफ्तीश शुरू कर दी है। इसकी मॉनीटरिंग शासन स्‍तर पर हो रही है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 11:11 AM (IST)
CAA Protest : एसआइटी खंगाल रही उपद्रव के केसों की फाइल, शासन स्‍तर पर हो रही मॉनीटरिंग Meerut News
CAA Protest : एसआइटी खंगाल रही उपद्रव के केसों की फाइल, शासन स्‍तर पर हो रही मॉनीटरिंग Meerut News

मेरठ, जेएनएन। CAA Protest पुलिस की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर को हुई हिंसा की तफ्तीश शुरू कर दी है। लिसाड़ीगेट, ब्रह्रमपुरी, कोतवाली और नौचंदी, मवाना और जानी थाने में दर्ज 24 मुकदमों की केस फाइल डायरी तलब कर ली गई है। कुछ मामलों में गिरफ्तार उपद्रवियों की तरफ से जमानत याचिका दी गई थी, इसलिए उनकी फाइलें देर शाम तक एसआइटी के पास नहीं पहुंची। बुधवार दोपहर तक पहुंच चुकीं फाइलों में से दर्ज एफआइआर और अन्य दस्तावेजों की टीम ने बारीकी से पड़ताल की है। फाइलों की जांच-परख कर तफ्तीश की आगे की दिशा तय की जाएगी। दरअसल, एसआइटी के काम की मॉनीटरिंग शासन स्तर पर हो रही है, जिसमें निर्देश दिए गए हैं कि निदरेष को जेल न भेजा जाए और दोषी को छोड़ा नहीं जाए।

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गंभीरता से की जा रही जांच

एसआइटी की अगुवाई एसपी क्राइम रामअर्ज कर रहे हैं। एसपी क्राइम ने बताया कि सभी थानों के दारोगा और इंस्पेक्टर मुकदमों की विवेचना कर रहे हैं, मुकदमों की संख्या बढ़ने से पुलिस लाइन से भी इंस्पेक्टरों को लगाया जा सकता है। सभी हिंसा प्रभावित थाना क्षेत्रों में करीब 50 पुलिसकर्मी इस जांच का हिस्सा बनेंगे। पुलिस लाइन स्थित क्राइम ब्रांच के ऑफिस में ही इसकी बैठक की जाएगी। जांच में जुड़े अफसरों को एक-एक मुकदमें की पड़ताल करने के आदेश दिए हैं। हर थाने से लगातार चल रही जांच का इनपुट आना है। कई सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल कैमरों की फुटेज चेक की गई है।

37 आरोपितों की गिरफ्तारी

मोबाइल फोनों के डंप डेटा की स्टडी की जानी है। इसलिए टीम में टेक्निकल कर्मचारियों को भी रखा गया है। 24 मुकदमों में पुलिस ने 37 आरोपितों की गिरफ्तारी की है। इसमें पीएफआइ और एसडीएफआइ के सदस्य भी शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा, जानलेवा हमला, आगजनी, आपराधिक षड्यंत्र, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। कुछ उपद्रवियों के खिलाफ देशद्रोह का भी मुकदमा दर्ज है। कुछ मामलों में गिरफ्तार आरोपी लगातार जमानत याचिका लगा रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने अभी किसी को कोई राहत नहीं दी है।

पथकथा पहले से थी तैयार

लिसाड़ीगेट और ब्रह्रमपुरी थाना क्षेत्रों में पांच दिन पहले से हिंसा की पटकथा तैयार की जा रही थी। इसे लेकर लगातार बैठक होती रही। बीट के सिपाहियों को इसकी जानकारी भी थी। इसके बावजूद इनपुट को अधिकारियों से साझा नहीं किया गया। यह खुफिया इनपुट मिलने के बाद सभी पुलिसकर्मी बचाव के लिए सिफारिश लगा रहे हैं।

पुलिसकर्मियों को थी जानकारी

20 दिसंबर को महानगर में एक साथ आठ स्थानों पर हिंसा भड़की। पथराव, फायरिंग और आगजनी में छह बवालियों की मौत हो गई, जबकि तीन पुलिसकर्मियों को गोली लगी। 250 वीडियो के आधार पर 132 बवाली चिन्हित हुए। खत्ता रोड पर काली पट्टी बांधकर फायरिंग करने वाले आरोपितों पर 20-20 हजार का इनाम घोषित किया गया। खुफिया इनपुट मिला है कि हिंसा से पांच दिन पहले लिसाड़ीगेट और ब्रह्रमपुरी थाना क्षेत्रों में बैठक कर पटकथा लिखी जा रही थी। इसकी जानकारी बीट के चार पुलिसकर्मियों को भी थी।

रोकी जा सकती थी हिंसा

इसके बावजूद पुलिसकर्मी मामले को अफसरों के सामने रखने में असफल साबित हुए। नतीजा सामने आया कि हिंसा हो गई। खुफिया इनपुट मिलने के बाद सामने आया कि पुलिसकर्मी अफसरों को प्लानिंग की जानकारी देते तो हिंसा रोकी जा सकती थी। एसएसपी अजय साहनी ने क्राइम मीटिंग में भी स्पष्ट कर दिया कि पब्लिक रिलेशन (जनसंपर्क) नहीं होने से हिंसा भड़की है। दूसरे जुमे को पुलिस ने पब्लिक रिलेशन बनाया था, जिसके चलते शांति बनी रही और बाजार भी पूरी तरह खुले रहे।

चार जनवरी तक बढ़ाई अफसरों की ड्यूटी

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा के बाद से ही शहर के चार थाना क्षेत्रों में (नौचंदी, लिसाड़ी गेट, कोतवाली और ब्रह्रमपुरी) मजिस्ट्रेट और पुलिस फोर्स की अतिरिक्त ड्यूटी लगी हुई थी। सतर्कता बरते हुए चारों थाना क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट और पुलिस अफसरों की ड्यूटी चार जनवरी तक और बढ़ा दी गई है। पहले यह ड्यूटी दो जनवरी को खत्म हो रही थी। बता दें की तीन जनवरी को शुक्रवार है। इसको लेकर भी पुलिस और प्रशानिक अफसर सतर्क हैं। इसके चलते ही यह कदम उठाया गया है। 


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