एकता का चित्र खींच रहा चित्रा प्रकाशन परिवार
किताबें अच्छे संस्कार देती हैं और सबसे अच्छी दोस्त भी होती हैं। किताबों में लिखी रिश्ते-नातों की अच्छी बातों को अमल में भी लाया जाए तो पढ़ने का मकसद पूरा हो जाता है। चित्रा प्रकाशन परिवार में रिश्तों की प्रगाढ़ता और एका का पाठ खूब पढ़ा जाता है। लॉकडाउन में तो यह डोर और मजबूत हो गई है।
मेरठ, जेएनएन। किताबें अच्छे संस्कार देती हैं और सबसे अच्छी दोस्त भी होती हैं। किताबों में लिखी रिश्ते-नातों की अच्छी बातों को अमल में भी लाया जाए तो पढ़ने का मकसद पूरा हो जाता है। चित्रा प्रकाशन परिवार में रिश्तों की प्रगाढ़ता और एका का पाठ खूब पढ़ा जाता है। लॉकडाउन में तो यह डोर और मजबूत हो गई है।
अजय रस्तोगी संयुक्त परिवार के साथ-साथ प्रकाशन उद्योग का भी नेतृत्व करते हैं। छोटे भाई आलोक रस्तोगी भी उन्हीं के साथ पारिवारिक व्यवसाय संभालते हैं। दो भाइयों का संयुक्त परिवार एक ही भवन के प्रांगण में रहता है। अजय के इस परिवार में अजय रस्तोगी, उनकी पत्नी मधु रस्तोगी एवं उनके पुत्र मयंक रस्तोगी, पुत्रवधू, दो पोते आर्यन और वेदांत हैं।
वहीं, आलोक रस्तोगी की पत्नी रजनी रस्तोगी हैं। उनके पुत्र वरुण एवं नितिन, पुत्रवधुएं, पोते कबीर, पोती नवीका और पोते अर्जुन है। इस प्रकार तीन पीढ़ी एक साथ एक ही छत के नीचे रहती हैं।
विदेश तक फैला है व्यवसाय
इनका परिवार चित्रा परिवार के नाम से जाना जाता है। सभी लोग संयुक्त रूप से व्यापार को देखते हैं। प्रमुख संस्थान चित्रा प्रकाशन (इंडिया) प्रा. लि. है। इसके साथ चित्रा एक्सपोर्ट, ब्लूप्रिट एजुकेशन, राजलक्ष्मी पब्लिकेशन, चित्रा सेल्स प्रा. लि. आदि व्यवसाय भी हैं। व्यापार पूरे भारत समेत विदेश तक फैला हुआ है। दोनों दादा, दादियां, पापा, चाचा के साथ खूब सारी बातें कीं। ऑनलाइन पढ़ाई भी अच्छी लगी। दोस्तों से नहीं मिल पाए पर दादा से दोस्ती अब गहरी हो गई है।
-आर्यन, अजय रस्तोगी का पोता मेरा संयुक्त परिवार है। इन दिनों समय भी खूब मिला। कई पोते-पोतियां हैं जिनके साथ हंसी-खुशी से वक्त कट गया। पोते छोटे हैं जिनके साथ दादा का फर्ज निभाने का अलग अनुभव रहा। वैसे तो व्यस्तता रहती थी लेकिन अब समय निकालकर पोते के साथ खेले भी, पढ़ाया भी।
-अजय रस्तोगी, चेयरमैन, चित्रा प्रकाशन एवं अन्य कंपनियां