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गर्व से करें हिदी का प्रयोग, विश्व पटल पर दिलाएं पहचान

भारत विकास परिषद योग शाखा की ओर से सोमवार को महाराजा अग्रसेन भवन में विश्व हिदी दिवस पर गोष्ठी हुई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 08:34 PM (IST)
गर्व से करें हिदी का प्रयोग, विश्व पटल पर दिलाएं पहचान
गर्व से करें हिदी का प्रयोग, विश्व पटल पर दिलाएं पहचान

मेरठ, जेएनएन। भारत विकास परिषद योग शाखा की ओर से सोमवार को महाराजा अग्रसेन भवन में विश्व हिदी दिवस मनाया गया। डा. सुबोध गर्ग ने हिदी का महत्व बताते हुए कहा कि हिदी को राष्ट्रीय भाषा और संयुक्त राष्ट्र परिषद की भाषा का सम्मान दिलाना हमारा दायित्व है। इसके लिए हम सबको मिलकर विश्व स्तर पर एक साथ मिलकर प्रयास करने होंगे। सभी को हिंदी के संवाहक की भूमिका में कार्य करना होगा। अशोक गुप्ता ने कहा कि हिदी का प्रयोग करने में हमें गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष राजेश रस्तोगी ने हिदी भाषा का महत्व बताया। कार्यक्रम का संचालन सचिव दिनेश गोयल ने किया। इस दौरान डा. बीके गुप्ता, महिद्र पाल, सुभाष गुप्ता और प्रमोद कुमार गुप्ता भी उपस्थित रहे। ब्रिटेन में हिदी लेखन से मिल रही है अलग पहचान

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मेरठ। निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल.. यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है। भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रसिद्ध कविता निज भाषा आज भी प्रासंगिक है। आज हम अपने देश में भले ही अंग्रेजी को लेकर गर्व की अनुभूति करें, ब्रिटेन में हिदी बोलकर और लिखकर भी कई लोगों ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिदी विभाग में विश्व हिदी दिवस पर विदेशों में हिदी लेखन विषय पर वेब गोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता हुई। इसमें ब्रिटेन से जुड़ीं जय वर्मा ने कहा कि वहां 1950 से हिदी लेखन हो रहा है। प्रवासी साहित्य का प्रकाशन वर्ष 2000 से शुरू हुआ है। ब्रिटेन में हिदी में बहुत सा प्रवासी साहित्य मौजूद है। यहां हिदी लेखन से हिदी की व्यापकता बढ़ी है और भारतीय भाषाओं की पहचान विश्व पटल पर स्थापित हुई है। मेरी पहचान आज हिदी है, हिदी में काम करने की वजह से सब ब्रिटेन में जानते हैं। इसका गर्व है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोग भी हिदी को स्वाभिमान से जोड़ें, तभी हिदी आगे बढ़ेगी। सृजनात्मक साहित्य और अनुवाद में हिदी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

अध्यक्षता करते हुए प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा कि हिदी विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही है। तकनीक और रोजगार में हिदी ने विकास किया है। मुख्य वक्ता तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि भारत के बाहर हिदी लेखन तीन स्तरों पर हो रहा है। गिरमिटिया, विदेशी और अपने करियर के लिए विदेश जाने वाले एनआरआइ हिदी में लेखन कर रहे हैं। संयोजक और संकायाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिदी वैश्विक पटल पर रोजगार साहित्य शिक्षा बाजार में भागीदारी कर रही है। भाषण में ये बने विजेता

वैश्विकता और वर्तमान स्थिति विषय पर भाषण प्रतियोगिता हुई। इसमें डा. अंजू, डा. प्रवीण, डा. आरती राणा निर्णायक रहे। विजेताओं में जया देवी, निकुंज, अंकिता तिवारी, पुष्पेंद्र कुमार, अंजलि पाल रहे।


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