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मेरठ में पाला पड़ने की आशंका, जानिए कैसे नष्ट होता है पौधा Meerut News

मौसम में बदलाव के चलते फसलों और पौधों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. आरएस सेंगर ने बताया कि मेरठ में जनवरी में पाला पडऩे के हर साल मामले सामने आते हैं।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 11:30 AM (IST)
मेरठ में पाला पड़ने की आशंका, जानिए कैसे नष्ट होता है पौधा Meerut News
इनदिनों मेरठ में पाला पड़ने की आशंका जताई जा रही है, इससे पौधे नष्‍ट हो जाते हैं।

मेरठ, जेएनएन। जनपद में कोहरा का प्रकोप बना हुआ है। ऐसे में पाला पडऩे से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. आरएस सेंगर ने बताया कि मेरठ में जनवरी में पाला पडऩे के हर साल मामले सामने आते हैं। बताया कि जब हवा न चल रही हो और तापमान अचानक कम हो जाए तो पाला पड़ने की संभावना रहती है।

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दिन के समय धूप के कारण धरती की सतह गर्म रहती है। जमीन की यह गर्मी विकिरण द्वारा वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है। रात्रि में जमीन की सतह ठंडी रहती है। रात में तापमान अत्यधिक कम होने से ओस की बूंदे जम जाती हैं। यह फसलों पर हिमकणों के रूप में जम जाती है। इसे ही पाला कहते हैं।

डा. सेंगर ने बताया कि पाले से पौधों की कोशिकाओं का पानी एकत्र हो जाता है जिससे निर्जलीकरण की अवस्था पौधे में बन जाती है। कोशिकाओं में पानी के एकत्र होकर जमने से उस स्थान का आकार बढ़ जाता है। जिससे कोशिकाएं फट जाती हैं। पौधा सूखने लगता है। कोमल टहनियां नष्ट हो जाती हैं। अधपके फल सिकुड़ जाते हैं और बालियों में दाने नहीं बन पाते हैं। उपज प्रभावित होती है। इसलिए पाले का बचाव जरूरी है।


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