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नौचंदी मेले में फारुख शेख ने भी सुनी थीं राहत की नज्म

नौचंदी मेले में होने वाले आल इंडिया मुशायरे में कई बार अजीम शायर राहत इंदौर आए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:03 AM (IST)
नौचंदी मेले में फारुख शेख ने भी सुनी थीं राहत की नज्म
नौचंदी मेले में फारुख शेख ने भी सुनी थीं राहत की नज्म

जेएनएन, मेरठ। नौचंदी मेले में होने वाले आल इंडिया मुशायरे में कई बार अजीम शायर राहत इंदौरी ने शिरकत की थी। दो मई 2008 को पटेल मंडप में सजी महफिल में प्रसिद्ध अभिनेता फारुख शेख ने भी भाग लिया था।

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मुशायरा कमेटी के अध्यक्ष रहे पूर्व मंत्री डा. मेराजउद्दीन ने बताया कि नौचंदी मेले में 2008 में हुए तारीखी मुशायरे की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. शकील अहमद ने की थी। मुख्य अतिथि अभिनेता फारुख शेख थे। मुशायरे में जब राहत इंदौरी का नंबर आया तो नमाज के लिए अजान शुरू हो गई। इस पर राहत साहब ने कहा कि कमेटी ने मुझे रकम तो आते ही दे दी थी ऐसे में मैं जाता भी तो कैसे। सूरज की किरणें निकलने के बाद भी मुशायरा चलता रहा। फारुख शेख ने भी मुशायरे में मेरठ के नामचीन कवियों भारतभूषण, हरिओम पंवार और हफीज मेरठी का नाम लिया था। बनी सराय में शोक सभा

मंगलवार शाम को बनी सराय में शोक सभा हुई। जिसमें वक्ताओं ने राहत इंदौरी को आम जन की आवाज बुलंद करने वाला शायर बताया। कांच के पुल निवासी अरशद मक्की ने बताया कि छह माह पहले एक मुशायरे में वह राहत साहब से मिले थे। उन्होंने उन्हें मेरठ अपने घर आने का न्यौता दिया था। यशपाल सिंह, सलीम सिद्दकी, कुंवर रईस अहमद, हाजी मोइनुद्दीन, सिराज अहमद आदि मौजूद रहे। अजीम शायर के इंतकाल पर डा. नवाज देवबंदी गमजदा

मुशायरे के मंचों को अपनी खूबसूरत शायरी और अनूठे अंदाज से सजाने वाले विश्वविख्यात शायर डा. राहत इंदौरी के इंतकाल से अदबी हलकों में रंज-ओ-गम है। नामचीन शायर डा. नवाज देवबंदी ने डा. राहत के निधन पर गहरे दुख का इजहार करते हुए कहा कि राहत साहब मुशायरों के बादशाह थे। उनका अचानक इस तरह चले जाना हिदी और उर्दू अदब की दुनिया के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। मुल्क व बैरून-ए-मुल्क में डा. राहत इंदौरी के साथ मुशायरों व कवि सम्मेलनों के मंच साझा कर चुके डा. नवाज देवबंदी ने कहा कि राहत इंदौरी बाकमाल शख्सियत और मुशायरों के मंच के शहंशाह थे। दुनिया के कोने कोने में मकबूलियत पाने वाले राहत हिदी और उर्दू दोनों मंच पर अपना हुनर दिखाने में माहिर थे। मुशायरों में उनका जुदा अंदाज देखने के लिए भीड़ उमड़ती थी।

यादों के झरोखों में झांकते नवाज साहब बताते हैं, साल 2000 में बज्म-ए-सुखन कार्यक्रम के दौरान उनका लंबा समय राहत इंदौरी के साथ गुजरा। मुशायरों की बड़ी शख्सियत भी कार्यक्रम में शिरकत करती थीं। एक बार जब फिल्म कलाकार रजा मुराद कार्यक्रम में पहुंचे तो उन्होंने अपने शानदार शेरों के साथ उनका स्वागत किया था। देवबंदी ने कहा कि राहत साहब इल्मी दुनिया के साथ फिल्मी दुनिया में भी कामयाब रहे।


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