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कब्‍जा हटाने के लिए पहुंची MDA की टीम को किसानों ने दौड़ाया, पीटने की कोशिश Meerut News

शुक्रवार को मेरठ विकास प्राधिकरण की टीम ने आवंटियों को प्लॉट देने के मकसद से शताब्दीनगर में किसानों का कब्जा खाली कराने की कोशिश की। इसी दौरान वहां पर हंगामा हो गया।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 10:49 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 10:49 AM (IST)
कब्‍जा हटाने के लिए पहुंची MDA की टीम को किसानों ने दौड़ाया, पीटने की कोशिश Meerut News
कब्‍जा हटाने के लिए पहुंची MDA की टीम को किसानों ने दौड़ाया, पीटने की कोशिश Meerut News

मेरठ, जेएनएन। शताब्दीनगर सेक्टर-छह में किसानों का कब्जा हटाने पहुंची एमडीए की टीम को किसानों ने दौड़ा लिया। जेसीबी पर पत्थर, रॉड, लाठी-डंडों से तोड़फोड़ कर चालक को पीटने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस चौकी के पास जाम लगाकर बैठ गए। उधर, पूरे दिन एमडीए की टीम, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी परतापुर थाने में स्थिति अनुकूल होने व उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार करते रहे।

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महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला

हाईकोर्ट की अवमानना से बचने के लिए एमडीए ने आवंटियों को प्लॉट देने के मकसद से शुक्रवार को शताब्दीनगर में किसानों का कब्जा खाली कराने की कोशिश की। एमडीए की टीम व पुलिस के पहुंचने से पहले ही किसान रिठानी पुलिस चौकी के पास मुस्तैद हो गए। लाठी-डंडे व धारदार हथियार लेकर महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया। किसानों का रुख देख अधिकारी दूर खड़े हो गए और कुछ लोगों को सेक्टर-छह की ओर भेज दिया। इनके साथ जेसीबी भी थी।

जेसीबी में शुरू की तोड़फोड़

टीम को आता देख किसानों ने उन्हें दौड़ा लिया। टीम के सदस्य तो वहां से भाग निकले, लेकिन जेसीबी किसानों की भीड़ के बीच फंस गई। किसानों ने जेसीबी में तोड़फोड़ शुरू कर दी। चालक पर भी हमला बोल दिया। जब चालक ने भीड़ की ओर जेसीबी दौड़ाई तो किसान भाग निकले। मौका देखकर चालक जेसीबी लेकर वापस लौट गया। उधर, किसानों ने ट्रैक्टर आदि वाहन खड़े करके जाम लगा दिया।

किसानों ने कब्‍जे का किया दावा

शताब्दीनगर के सेक्टर-छह, चार व अन्य कई सेक्टरों के प्लाटों पर किसानों का कब्जा है। किसानों के दावे के अनुसार, करीब 500 एकड़ जमीन पर कई वर्ष से उनका कब्जा है। उचित मुआवजा न मिलने का आरोप लगाकर किसानों ने अपनी उन जमीनों पर कब्जा कर लिया था, जो 1987 में अधिग्रहीत की गई थी। इसमें जैनपुर, कंचनपुर घोपला आदि गांवों के किसान शामिल हैं। 


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