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Meerut Fake NCERT Books Case: पांच साल से चल रहा था एनसीईआरटी की अवैध किताबों का धंधा, पूछताछ में आरोपितों ने उगले कई राज

fake NCERT Books case in Meerut पांच साल से आरोपित यह धंधा चला रहे थे। मेरठ पुलिस ने गिरफ्तार चार आरोपितों से पूछताछ की जिसमें आरोपितों ने कई राज बताए।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 10:01 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 10:01 PM (IST)
Meerut Fake NCERT Books Case: पांच साल से चल रहा था एनसीईआरटी की अवैध किताबों का धंधा, पूछताछ में आरोपितों ने उगले कई राज
Meerut Fake NCERT Books Case: पांच साल से चल रहा था एनसीईआरटी की अवैध किताबों का धंधा, पूछताछ में आरोपितों ने उगले कई राज

मेरठ, जेएनएन। करोड़ों के किताब प्रकरण में पकड़े गए चारों आरोपितों से पुलिस ने जेल में पूछताछ की। उन्होंने स्वीकार किया कि बड़े पैमाने पर एनसीईआरटी की अवैध किताबों की छपाई की जा रही थी। पांच साल से लगातार किताबों की बिक्री बढ़ रही थी। स्कूल खुलने से पहले ही दुकानदारों के आर्डर बुक किए जाते थे। उसके बाद प्रिंटिंग प्रेस से किताब छपाई के बाद सीधे दुकानदारों को भेज दी जाती थी। अपनी प्रेस के अलावा अन्य प्रिंटिंग प्रेस में भी किताबों की छिपाई कराई जाती थी। पुलिस को अन्य कुछ प्रिंटिंग प्रेस के नाम भी कर्मचारियों ने बताए है।

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आरोपितों से अलग-अलग हुई पूछताछ

21 अगस्त को एसटीएफ और परतापुर पुलिस ने संयुक्त रूप से परतापुर और गजरौला में गोदामों पर छापा मारकर करोड़ों की किताब पकड़ी थी। मौके से पुलिस ने शिवम, राहुल, आकाश और सुनील कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। भाजपा नेता संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता, कर्मचारी विकास त्यागी और नफीस खान पुलिस पकड़ से दूर बने हुए है। उनके गैरजमानती वारंट भी पुलिस ले चुकी है। शनिवार को पुलिस की एक टीम कोर्ट के आदेश पर सर छोटूराम इंजिनीयरिंग कॉलेज अस्थाई जेल में गई, जहां पर शिवम, राहुल, आकाश और सुनील से अलग-अलग पूछताछ की गई।

एडवांस में ही मिल जाता आर्डर

इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा ने बताया कि पूछताछ में चारों कर्मचारियों ने बताया कि पिछले पांच सालों से एनसीईआरटी की अवैध किताबे बड़े पैमाने पर छपाई होने लगी थी। हाल में तो दुकानदारों की खरीदारी के लिए एडवांस में ही आर्डर मिल जाते थे। संजीव और सचिन गुप्ता की प्रिंटिंग प्रेस दुकानदारों के आर्डर को पूरा नहीं कर पाती थी। ऐसे में मेरठ और अन्य जनपदों की कई प्रिंटिंग प्रेस में भी किताबों की छपाई कर सीधे दुकानदारों को बेची जाती थी। पेपर और स्याही के बारे में भी कर्मचारियों ने पुलिस को जानकारी दी है। बताया गया कि वाटर मार्क लगा हुआ पेपर ही छपाई के लिए आता था, जो पेपर मिल में संजीव और सचिन खुद तैयार कराते थे।

सचिन देता था ऑनलाइन ऑर्डर

पुलिस के मुताबिक नौकरों ने पेपर मिल का नाम नहीं बताया है। उनका कहना है कि सचिन गुप्ता ऑनलाइन ऑर्डर देते थे। उनकी जिम्मेदारी सिर्फ माल उतारने की रहती थी। उन्होंने बताया कि नफीस और विकास त्यागी ही सभी दुकानदारों के पास जाकर माल का आर्डर लाते और रकम एकत्र करते थे। विकास और नफीस की गिरफ्तारी के बाद काफी राज खुलेंगे। पुलिस की टीम अब फरार चल रहे आरोपितों की तलाश में दबिश डाल रही है।

चार से हुई पूछताछ

एसएसपी अजय साहनी ने कहा कि जेल में बंद चार आरोपितों से पुलिस ने पूछताछ की है। उन्होंने पेपर और स्याही के बारे में विस्तृत से जानकारी दी है। किताबों की वितरण किसे किसे किया जाता था। इसकी जानकारी भी पुलिस जुटा रही है। साथ ही फरार चल रहे आरोपितों की तलाश में दबिश डाली जा रही है। जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा।  


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