गड़बड़झाला : CCSU में फर्जी मार्कशीट का मामला पकड़ा, रजिस्ट्रार के नाम से भेजा लेटर Meerut News
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एक बार फिर से फर्जी तरीके से डिग्री और मार्कशीट को सही बनाने का मामला पकड़ में आया है। बनाया गया रजिस्ट्रार के नाम से फर्जी लेटर।
मेरठ, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एक बार फिर से फर्जी तरीके से डिग्री और मार्कशीट को सही बनाने का मामला पकड़ में आया है। इसमें सत्यापन के लिए आइ फर्जी मार्कशीट को सही ठहराने के लिए रजिस्ट्रार के नाम से फर्जी पत्र भेज कर अंजाम देने का प्रयास किया गया। मामला संज्ञान में आने पर रजिस्ट्रार ने संबंधित अभ्यर्थी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा है।
गोपनीय तरीके से भेजते हैं रिपोर्ट
विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों में नियुक्त अभ्यर्थियों की मार्कशीट और डिग्री सत्यापन के लिए आती है, जिसे संबंधित विभाग भेजते हैं। विश्वविद्यालय मार्कशीट और डिग्री का सत्यापन कराकर उसकी रिपोर्ट भेजता है। यह रिपोर्ट गोपनीय तरीके से भेजी जाती है। विश्वविद्यालय में अभी कुछ दिन पहले बिहार से एक छात्र की बीए और एमएसडब्ल्यू (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) की डिग्री सत्यापन के लिए आई थी। विवि की जांच में दोनों मार्कशीट फर्जी पाई गई।
फर्जी हस्ताक्षर से भेजा पत्र
जांच के बाद विश्वविद्यालय की विजिलेंस टीम ने फर्जी मार्कशीट होने की रिपोर्ट बनाकर संबंधित विभाग को भेज दिया। 21 सितंबर 2019 को यह पत्र बिहार के सारण में मेडिकल इंचार्ज को विश्वविद्यालय से भेजा गया। इसमें दोनों मार्कशीट को फर्जी बताते हुए रिपोर्ट दी गई। वहीं, दूसरी ओर इसी तिथि पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर से दूसरा पत्र भेज दिया गया, जिसमें दोनों मार्कशीट को सही बताया गया।
मेरठ कॉलेज से बनी फर्जी मार्कशीट
विवि में जो मार्कशीट सत्यापन के लिए आई थी। उसमें अभ्यर्थी को मेरठ कॉलेज का बताया गया है, जबकि मेरठ कॉलेज में एमएसडब्ल्यू का कोर्स ही नहीं है। विवि में रजिस्ट्रार के नाम से जो फर्जी पत्र जारी किया गया, उसके लेटर पैड का साइज अलग है। हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किया गया है।
किसी रैकेट के होने की आशंका
इससे पहले भी विवि में इस तरह से फर्जी मार्कशीट को असली बनाने के लिए रजिस्ट्रार के नाम से फर्जी पत्र जारी होते रहे हैं। इससे किसी रैकेट के सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है। पूर्व में भी ऐसे कई मामले पकड़े गए हैं। विवि के रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद इसकी सही रिपोर्ट बिहार में मेडिकल इंचार्ज को भेज दी गई है।