Fake Hallmarking: मेरठ के सर्राफा बाजार में नकली हालमार्किंग, आभूषण ग्राहकों को लगाया करोड़ों का चूना
Fake hallmarking मेरठ में शुक्रवार को नकली हालमार्किंग की सूचना पर बीआइएस की टीम ने छापेमारी करके नील की गली में ओम कांप्लेक्स में एक दुकान पर नकली हालमार्किंग को पकड़ा। इस तरह ग्राहकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Fake Hallmarking मेरठ में आभूषण की थोक मार्केट शहर सर्राफा बाजार में देश के हर कोने से व्यापारी आभूषण बनवाने आते हैं। प्रतिदिन का 15 से 20 करोड़ रुपये का कारोबार बाजार में होता है। नकली हालमार्किंग की सूचना पर शुक्रवार को सर्राफा बाजार में बीआइएस की टीम ने छापेमारी करके नील की गली में ओम कांप्लेक्स में एक दुकान पर नकली हालमार्किंग को पकड़ा। टीम ने यहां करीब 14 लाख रुपये कीमत के 300 ग्राम सोने के जेवर और दो मशीनें जब्त करके सील कर दी। मुख्तार पोलिशिंग के यहां जो दो मशीनें बीआइएस ने जब्त की है उस प्रत्येक एक्सआरएस मशीन की कीमत 60 से 70 लाख रुपये है। यही मशीन बीआइएस के अधिकृत हालमार्किंग सेंटरों पर होती है।
चार महीने चल रहा था फर्जीवाड़ा
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपित ने पहले 10-15 आभूषणों पर वैध तरीके से हालमार्किंग कराई। उसके बाद वही नंबर वह दूसरे आभूषणों पर लगा कर दे रहा था। यह अभूषण हालमार्किंग में अंकित गुणवत्ता से कम गुणवत्ता के होंगे। टीम को मेरठ में तीन स्थानों पर इसकी सूचना मिली थी। कम से कम चार माह से यह फर्जीवाड़ा चल रहा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि फर्जीवाड़ा करने वालों ने अब तक किस तरह ग्राहकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया होगा। जिस ज्वैलरी पर नकली हालमार्किंग लगाई जा रही थी वह 18 और 20 कैरेट की ज्वैलरी है। बतातें चलें कि मेरठ में 20 कैरेट की ज्वैलरी बनती है। व्यापारियों को लंबे संघर्ष के बाद ही 20 कैरेट की ज्वैलरी की हालमार्किंग की अनुमति केंद्र सरकार ने दी है।
इस तरह करें असली सोने के आभूषणों की पहचान
मेरठ में सोने के बड़े कारोबार को देखते हुए वर्तमान में बीआइएस ने छह हालमार्किंग सेंटर बनाए हैं। लोगों को उनकी द्वारा अदा की गई कीमत के बदले शुद्ध सोने के आभूषण मिल सकें इसके लिए यह कवायद की है। 15 जून से जो नया हालमार्किंग कानून लागू हुआ है उसके तहत आभूषणों पर तीन मोहर लगाई जा रही है। दो ग्राम से अधिक की हर ज्वैलरी पर हालमार्किंग अनिवार्य है। पहली मोहर में बीआइएस का लोगो होता है। दूसरे में सोने की रेटिंग लिखी होती है कि आभूषण कितने कैरेट का है। तीसरे नंबर पर छह अंकों एल्फा न्यूमेरिक नंबर होता है। यह हर आभूषण के लिए अलग होता है।
अगर आपको आभूषण लेकर किसी प्रकार संशय है तो यह करें।
- आभूषण खरीदते समय प्रतिष्ठान का रजिस्ट्रेशन नंबर अवश्य देखना चाहिए। हालमार्क केवल रजिस्टर्ड दुकानों में बिकने वाले आभूषणों का किया जा रहा है।
- आभूषणों को हालमार्क सेंटर में ले जा कर निर्धारित फीस देकर परीक्षण कराया जा सकता है कि मोहर असली है या नहीं। अगर मोहर गलत या आभूषण कम रेटिंग का पाया जाता है। तो बीआइएस अपने स्तर से कार्रवाई करता है। ग्राहक को आभूषण की पूरी कीमत बेचने वाले दुकानदार को देनी पड़ती है। यही नहीं उस चेन का पता भी चल जाता है कि किस जगह आभूषण बना है कहां कहां पर बिका है।
एप बताएगा असली नकली की पहचान
बीआइएस जल्द एप लांच करने जा रहा है। जिसमें एचयूआइडी नंबर से पता चला जाएगा कि आभूषण की क्या रेटिंग है और वास्तव में मोहर असली है या नकली।
संगठन का नहीं कोई संबंध
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल ने बताया कि आरोपित दुकानदारों से संगठन का कोई संबंध नहीं है। संगठन गलत काम करने वालों का साथ नहीं देगा।
छापे की सूचना पर बंद हो गईं दुकानें
टीम ने जैसे ही छापेमारी शुरू की सराफा बाजार के व्यापारियों में खलबली मच गई। श्री राम कांप्लेक्स, नील की गली और इसके आसपास की दुकानों पर टीम पहुंची तो वहां उन्हें दुकानों पर ताला लगा मिला।