प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से बिक रहीं नकली दवाइयां,यहां मिला जखीरा
प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से नकली दवाओं का कारोबार हो रहा है। ड्रग्स विभाग की कई टीमाें ने सरधना में छापेमारी करके बड़े पैमाने पर नकली दवा जब्त की है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 12:04 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद बड़े पैमाने पर नकली दवाओं का धंधा जारी है। सरधना के मुल्हेड़ा गांव में छापामारी के दौरान 14 प्रकार की नकली दवाएं बरामद हुईं। गोदामों में बड़ा जखीरा मिला। दवाओं को जेनरिक बताकर दूर-दराज तक बेचा जा रहा था। सोमवार देर रात तक कार्रवाई जारी थी।
कई जिलों की विभागीय टीम पहुंची
पिछले साल दिसंबर में सिपेक्जिम समेत कई एंटीबायोटिक दवाओं के सैंपल की जांच रिपोर्ट में तकरीबन सभी साल्ट नकली मिलने के बाद विभाग इस धंधे की कड़ियां जोड़ने में लगा था। असिस्टेंट कमिश्नर (ड्रग) राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में कई जिलों की विभागीय टीम ने भारी पुलिस बल के साथ दोपहर 1.30 बजे मुल्हेड़ा गांव में श्याम सिंह पुत्र मूल सिंह के मेडिकल स्टोर पर तलाशी शुरू की। इसी दौरान टीम को पास में ही दो गोदाम होने की जानकारी मिली। जहां बड़ी कंपनियों का लेबल लगे नकली दवाइयों का स्टॉक मिला।
जेनरिक बताकर बेचा जा रहा था
दवाओं को जेनरिक बताकर दूर-दराज तक बेचा जा रहा था। अधिकारियों ने गोदामों में रखी दवाओं की कीमत करीब 20 लाख रुपए बताई है,जबकि कस्बे वालों ने इसकी कीमत दो करोड़ से ज्यादा आंकी। टीम को दवाओं के बिल नही मिले। गोदाम मालिक भाग गया,पुलिस ने उसके पुत्र को हिरासत में ले लिया। हापुड़ के लवकुश प्रसाद,मेरठ के पवन कुमार शाक्य,बुलंदशहर की दीपा लाल व बागपत के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर भी टीम में शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक ये नकली दवाइयां गाजियाबाद व उत्तराखंड में बनवाई जा रही हैं।
असली की आड़ में नकली का कारोबार
गांव में मेडिकल स्टोर की आड़ में नकली दवाओं का धंधा भी चल रहा था। विभाग ने जो दवा सील कर नमूने को भेजी है उन्हें नकली बताया जा रहा है जबकि पकड़ी गई दवाइयों के अलावा भी गोदाम और दुकान में इससे कही अधिक दवाएं छोड़ दी गई हैं। टीम ने दो गोदाम और दुकान पर छापा मारकर नकली एंटीबायोटिक दवाई बरामद की हैं और बीस लाख रुपये से अधिक की दवाएं सील कर दुकान ओर गोदाम को ऐसे ही छोड़ दिया गया है जबकि छापे के दौरान ही दुकान ओर गोदाम से मिली नकली दवाइयों के साथ वहां भी सील की कार्रवाई होनी चाहिए थी। मगर विभाग की टीम ने ऐसा नही किया।
कई जिलों की विभागीय टीम पहुंची
पिछले साल दिसंबर में सिपेक्जिम समेत कई एंटीबायोटिक दवाओं के सैंपल की जांच रिपोर्ट में तकरीबन सभी साल्ट नकली मिलने के बाद विभाग इस धंधे की कड़ियां जोड़ने में लगा था। असिस्टेंट कमिश्नर (ड्रग) राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में कई जिलों की विभागीय टीम ने भारी पुलिस बल के साथ दोपहर 1.30 बजे मुल्हेड़ा गांव में श्याम सिंह पुत्र मूल सिंह के मेडिकल स्टोर पर तलाशी शुरू की। इसी दौरान टीम को पास में ही दो गोदाम होने की जानकारी मिली। जहां बड़ी कंपनियों का लेबल लगे नकली दवाइयों का स्टॉक मिला।
जेनरिक बताकर बेचा जा रहा था
दवाओं को जेनरिक बताकर दूर-दराज तक बेचा जा रहा था। अधिकारियों ने गोदामों में रखी दवाओं की कीमत करीब 20 लाख रुपए बताई है,जबकि कस्बे वालों ने इसकी कीमत दो करोड़ से ज्यादा आंकी। टीम को दवाओं के बिल नही मिले। गोदाम मालिक भाग गया,पुलिस ने उसके पुत्र को हिरासत में ले लिया। हापुड़ के लवकुश प्रसाद,मेरठ के पवन कुमार शाक्य,बुलंदशहर की दीपा लाल व बागपत के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर भी टीम में शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक ये नकली दवाइयां गाजियाबाद व उत्तराखंड में बनवाई जा रही हैं।
असली की आड़ में नकली का कारोबार
गांव में मेडिकल स्टोर की आड़ में नकली दवाओं का धंधा भी चल रहा था। विभाग ने जो दवा सील कर नमूने को भेजी है उन्हें नकली बताया जा रहा है जबकि पकड़ी गई दवाइयों के अलावा भी गोदाम और दुकान में इससे कही अधिक दवाएं छोड़ दी गई हैं। टीम ने दो गोदाम और दुकान पर छापा मारकर नकली एंटीबायोटिक दवाई बरामद की हैं और बीस लाख रुपये से अधिक की दवाएं सील कर दुकान ओर गोदाम को ऐसे ही छोड़ दिया गया है जबकि छापे के दौरान ही दुकान ओर गोदाम से मिली नकली दवाइयों के साथ वहां भी सील की कार्रवाई होनी चाहिए थी। मगर विभाग की टीम ने ऐसा नही किया।
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