अद्भुत है..दर्शनीय है.. ये कावड़ मेला है
मेरठ। ये कावड़ यात्रा अद्भुत है. दर्शनीय है.या यूं कहें कि कावड़ मेला है.जिसके दीदार को हर
मेरठ। ये कावड़ यात्रा अद्भुत है. दर्शनीय है.या यूं कहें कि कावड़ मेला है.जिसके दीदार को हर परिवार आतुर है। तभी तो पूरा शहर और गाव इसे देखने सड़कों के किनारे उमड़ पड़ा है। इसमें दर्शनीय है कावड़ की झाकी और कावड़ियों का विविध रूप। उनका नृत्य और मस्ती। शिविरों की सजावट और उसमें बिखरे विभिन्न रंग। कावड़ियों की सेवा और भजनों पर उन्मुक्त थिरकतीं नृत्यागनाएं। आरती और प्रसाद। युवतियों की रुचि भी भोले के इस व्यवस्था पर दिखती है।
परतापुर बाईपास या रुड़की रोड पर आगे निकल जाइए। दिल्ली रोड पर या हापुड़ रोड। हर जगह सड़कों के किनारे थोड़ी थोड़ी दूरी पर कावड़ शिविर सजे दिखाई देंगे। जितनी संख्या किसी शिविर में दिखेगी उससे कहीं अधिक सड़कों के किनारे बैठे और खड़े हुए लोग। महिलाएं और बच्चे। हर किसी के हाथ में मोबाइल जो हर विशेष कावड़ को अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहता है। सेल्फी का क्रेज यहा दिखता है। कावड़ियों की सेवा कर हर कोई पुण्य ले लेना चाहता है। सेवा में प्रतिस्पर्धा है। परिवारों के पास समय है। किसी मेले को देखने की तरह पूरा परिवार शाम को निकल रहा है। बच्चों का उत्साह गजब का है। उनकी धार्मिकता भोलों को भावुक करती है। बच्चों का आग्रह उन्हें हर शिविर में रुकने पर मजबूर करता है। घर के भोजन में स्वाद ढूंढने वाले युवा यहा पंगत में खुशी से भीड़ संग लंच और डिनर कर रहे हैं। कावड़ में दिखता है भारत
कावड़ यात्रा में शिव मंदिर की झाकी है। इंडिया गेट है। शहीदों की प्रतिमाएं हैं तो सामाजिक संदेश वाली झाकिया भी। भगवा ध्वज है तो तिरंगा भी। रास्तों में रोशनी है हर तरफ सुरक्षा
महिलाओं वाली भीड़ भी देर शाम तक रुक रही है। इसलिए कि कावड़ मार्ग पर खूब रोशनी है और गस्त करती पुलिस कदम कदम पर है। डाइवर्जन है इसलिए वाहन चढ़ जाने का डर भी नहीं है।