उड़ान के लिए मौजूदा हवाई पट्टी की ही बढ़ेगी लंबाई-चौड़ाई
मेरठ से हवाई उड़ान सेवा के लिए बुधवार को डा. आंबेडकर हवाई पट्टी का निरीक्षण करने संयुक्त टीम पहुंची। पट्टी के विस्तार के लिए टीम ने नापजोख भी की।
मेरठ । मेरठ से हवाई उड़ान सेवा के लिए बुधवार को डा. आंबेडकर हवाई पट्टी का निरीक्षण करने संयुक्त टीम पहुंची। पट्टी के विस्तार के लिए टीम ने नापजोख भी की। टीम का शुरुआती संकेत यही है कि हवाई पट्टी का अधिक विस्तार नहीं करना पड़ेगा। बहरहाल टीम की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर ही पता चल सकेगा कि हवाई उड़ान के लिए आवश्यक किन चीजों की जरूरत पर बल दिया गया है।
मेरठ से लखनऊ और प्रयागराज के लिए हवाई उड़ान सेवा शुरू करने के लिए मार्च के प्रथम सप्ताह में जूम एयरलाइंस को लेटर ऑफ इंटेंट जारी हुआ था। इसके बाद कंपनी ने भी सहमति पत्र दे दिया था। इन प्रक्रियाओं के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी के संयुक्त सचिव की ओर से रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के नॉर्थ जोन के प्रभारी को संयुक्त टीम का निरीक्षण कराने का निर्देश जारी हुआ था। इस निर्देश के तहत जूम एयरलाइंस, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, डीजीसीए व राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम परतापुर के पास स्थित डा. आंबेडकर हवाई पट्टी का निरीक्षण करने पहुंची। इसमें जूम एयरलाइंस से पायलट और एक टेक्निकल स्टाफ, राज्य सरकार की ओर से मोहन राय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से अरुण मेहोन, डीजीसीए (नागरिक विमानन महानिदेशालय) से तीन अधिकारी शामिल थे। टीम ने हवाई पट्टी का निरीक्षण करने के बाद पैमाइश की। हवाई उड़ान सेवा शुरू करने के लिए विस्तार की कम ही जरूरत पड़ेगी। फेस-टू होगा ड्राप, इसलिए आसान हो जाएगी उड़ान
हवाई पट्टी का विस्तार करके बड़ा एयरपोर्ट बनाने के लिए दो फेस-वन व फेस-टू की योजना थी। फेस-टू के तहत एयरपोर्ट के लिए तीन हजार मीटर जमीन चाहिए पर इसे टीम ने ड्राप करने के संकेत दिए हैं। टीम ने यह भी देखा है हवाई पट्टी के साथ ही जमीन बढ़ाकर विस्तार कर दिया जाए। पट्टी स्थित बने भवन के पीछे भी जमीन है जिसका उपयोग टर्मिनल व कंट्रोल रूम बनाने में किया जा सकता है। गगोल की तरफ विस्तार किया नहीं जा सकता इसलिए जो जमीन किसानों से अधिग्रहीत करने के लिए आरक्षित है उसमें विस्तार करना होगा। हालांकि कितनी जरूरत है इसके बारे में टीम ने जानकारी नहीं दी। टीम से दो दिन में लूंगा रिपोर्ट : लक्ष्मीकांत
संयुक्त टीम के निरीक्षण के समय भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि टीम से वह दो दिन में रिपोर्ट की स्थिति की जानकारी ले लेंगे। यह भी पूछेंगे कि क्या-क्या काम होना है और राज्य व केंद्र के स्तर से क्या होगा यह पता करके उस स्तर से कार्य कराने में लगेंगे। उन्होंने बताया कि एमडीए के एयरपोर्ट एन्क्लेव की भी समस्या का समाधान निकल जाएगा। 50 सीटर के लिए 227 एकड़ चाहिए
किसी भी व्यावसायिक विमान के उड़ान भरने के लिए जो मानक पूरे करने होते हैं,उसके कुछ न्यूनतम मानक हैं। बगैर उसको पूरा किए उड़ान का लाइसेंस नहीं मिल सकता। 50 सीटर विमान की खातिर रनवे की लंबाई कम से कम 1800 मीटर और 30 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। वर्तमान में मेरठ की हवाई पट्टी की चौड़ाई 23 मीटर और लंबाई 1500 मीटर है। ऐसे में 50 सीटर विमान उड़ाने से पहले रनवे को लंबा और चौड़ा करना जरूरी होगा। इसके अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर, टर्मिनल बिल्डिंग, फायर सर्विस का स्थान औ एंबुलेंस आदि की भी व्यवस्था करनी होगी। इसकी खातिर एएआइ ने और 227 एकड़ भूमि की जरूरत बताई हुई है। वन विभाग की 86 एकड़ भूमि एएआइ को ट्रासफर होनी है। प्रक्त्रिया लगभग पूरी होने को है। पहले चरण में 520 करोड़ होंगे खर्च
ऐसे में और 141 एकड़ भूमि की जरूरत होगी,जिसे अधिग्रहण करना होगा। वर्ष 2015 में जिला प्रशासन ने अधिग्रहण की जो दर तय की थी,उसके अनुसार प्रति एकड़ लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च बैठेगा यानि एयरपोर्ट चलाने के लिए प्रदेश सरकार को 520 करोड़ रुपये प्रथम चरण में अधिग्रहण पर खर्च करने होंगे। देखना होगा कि प्रदेश सरकार क्या इसे मंजूरी देगी या फिर यह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। इतना ही नहीं,इसके बाद एएआइ को भी निर्माण कार्य में कम से कम 100 करोड़ रुपये खर्च करना होगा। ऐसे में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तमाम निर्माण कार्य पूरा करने में कम से कम सालभर का समय लग सकता है।