हमारा तो सबकुछ उजड़ा, अब लकीर पीटने से क्या होगा
पोस्टमार्टम हाउस पर ऑटो चालक की पत्नी ने अफसरों को कोसा। मरने वाले सभी लोग अपने परिवार के थे जिम्मेदार लोग।
मेरठ। हादसा हुआ। लोग मारे गए। पब्लिक हो या अफसर, दो-चार दिन के बाद इस हादसे को भूल जाएंगे, लेकिन जिनके परिवार का कमाने वाला मुख्य सदस्य ही चला गया, वे इस हादसे को ताउम्र नहीं भूल पाएंगे। मृतक पिक-अप चालक, कबाड़ी कारोबारी और रिक्शा चालकों के परिजन जब पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे तो बुरी तरह बिलख पड़े। उनका कहना था कि हमारा तो सबकुछ उजड़ गया, अब लकीर पीटने से भी क्या फायदा होगा।
रिक्शा चालक रणवीर के पिता आसे जब पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे तो उनकी आंखों के आंसू सूख चुके थे। वह गुमसुम बैठे थे। अचानक वह पीछे गिरे और बेहोश हो गए। जब होश आया तो फफक पड़े। 28 साल का रणवीर उनके घर में कमाने वाला इकलौता था। वह रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता था। पिता आसे का कहना है कि उनका सबकुछ उजड़ गया। मुआवजे से क्या होगा। पिक-अप चालक नाजिर के पिता शाहबुद्दीन भी अफसरों की व्यवस्था को कोसते हुए नजर आए। मदन और धर्मपाल के परिजन तो नहीं आए, लेकिन उनके रिश्तेदार शव ले गए। कबाड़ी कारोबारी अरुण के पिता कर्ण सिंह ने बताया कि उनके घर का खर्च अरुण की कमाई से ही चलता था।
मजबूरी में नाबालिग को कमाने में लगाया
मृतकों में पिक-अप चालक नाजिर 17 साल का है। उसके पिता शाहबुद्दीन का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपने बेटे को नौकरी पर लगा दिया था। नाजिर में कम उम्र में ही गाड़ी चलाना सीख लिया था। अब पिता नाजिर के हाथों में गाड़ी का हैंडिल देकर पश्चाताप कर रहा है।