Move to Jagran APP

भारतीय परंपरा में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व, हर वस्तु में होते हैं प्राण

भारतीय परंपरा में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व माना गया है और प्रत्येक वस्तु में प्राण माने गए हैं। भारद्वाज मुनि और भृगु ऋषि संवाद में 10 श्लोक भारतीय वृक्ष विज्ञान को समझाते है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 10:41 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 10:41 PM (IST)
भारतीय परंपरा में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व, हर वस्तु में होते हैं प्राण
भारतीय परंपरा में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व, हर वस्तु में होते हैं प्राण

मेरठ, जेएनएन। वनस्पति विज्ञान को भारतीय परम्परा में वृक्ष विज्ञान कहा गया है। भारतीय परंपरा में प्रत्येक वस्तु का अस्तित्व माना गया है और प्रत्येक वस्तु में प्राण माने गए हैं। यह बात चौधरी चरण सिंह विवि के प्रोफेसर पवन शर्मा ने कही।

loksabha election banner

शांति उपेंद्र फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट इनीशिएटिव संस्थान और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की ओर आयोजित वेबिनार में प्रो. शर्मा ने बताया कि पश्चिम में दो विद्वान हुए। एक रोबर्ट कॉच जिन्होंने वर्ष 1665 में प्लांट सेल और उनके संरचना के बारे में बताया। दूसरे डिक्सकॉन जॉली जिन्होंने 1894 में बताया कि वृक्ष भोजन ग्रहण करते है। अथर्ववेद में वृक्ष की उत्पत्ति और क्रियाकलापों पर चर्चा की गई है। महाभारत के शांतिपर्व के मोक्षधर्म पर्व के 184वें अध्याय में भारद्वाज मुनि और भृगु ऋषि संवाद में 10 श्लोक भारतीय वृक्ष विज्ञान को समझाते है। वृक्ष सृष्टि का अंग है। इनमें पंचमहाभूत विद्यमान हैं। वृक्षो में भीतर ऊष्मा और गर्मी है जिससे उनमें स्पर्श का होना सिद्ध होता है। वृक्षो में श्रवण इंद्रिया भी है।

वृक्ष भी बीमार पड़ते हैं

पुराणों के आधार पर प्रोफेसर पवन शर्मा ने बताया कि वृक्ष जड़ से जल पीते हैं। वृक्ष में रसन इंद्रिया भी है। वृक्षों में जीव भी है वे अचेतन नहीं होते हैं। वृक्षो में अग्नि व वायु भी है जो जल को पचाती है और आहार से वो बढ़ते है। वृक्ष बीमार भी पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि जो ज्ञान 17वीं और 19वीं शताब्दी में पश्चिम को पता चला वह भारत में हजारों वर्ष पूर्व से था। इसकी भारतीय परंपरा में विस्तार से चर्चा है। ऋग्वेद के तैत्तिरीयसंहिता में इसकी विस्तार से चर्चा की गई हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.