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घोड़ों के मन की बात पढ़ता है हर सफल घुड़सवार, कुछ इस तरह जुड़ता है राइडर और घोड़े का दिमाग Meerut News

हर राइडर के लिए हॉर्स साइकोलॉजी पढ़ना अनिवार्य है। जो घोड़ों को जितना बेहतर समझता है वह उतना ही सफल होता है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 01:58 PM (IST)
घोड़ों के मन की बात पढ़ता है हर सफल घुड़सवार, कुछ इस तरह जुड़ता है राइडर और घोड़े का दिमाग Meerut News
घोड़ों के मन की बात पढ़ता है हर सफल घुड़सवार, कुछ इस तरह जुड़ता है राइडर और घोड़े का दिमाग Meerut News

मेरठ, [अमित तिवारी]। हॉलीवुड फिल्म ‘अवतार’ में पेंडोरा ग्रह के लोग अपने बालों की चोटी के जरिए घोड़ों से सीधे जुड़ते दिखाए गए हैं। इसमें घुड़सवार और घोड़े का दिमाग व सोच एक साथ जुड़ जाती है। यानी, राइडर जो सोचता है, घोड़ा वही करता है।

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तालमेल बनाने में लगते हैं पांच-छह साल

प्रतियोगिता में घोड़े की लगाम बेशक घुड़सवार के हाथ में रहती हो लेकिन असल जीत होती है घोड़े की सोच की। हकीकत में घ़ुड़सवार भले ही चोटी के जरिए घोड़े से न जुड़ते हों लेकिन सफल घुड़सवार अपने घोड़े की सोच को पढ़ने में माहिर होता है। दोनों के बीच बेहतरीन तालमेल बनने में पांच-छह साल लगते हैं।

घोड़ों का मनोविज्ञान

घोड़े के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए शुरुआती ट्रेनिंग में घुड़सवारों को घोड़ों का मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है। मसलन, घोड़ों को झुंड में रहना पसंद है। तेज आवाज सुनकर भागते हैं। आगे से पीछे तक दाहिनी और बाईं ओर देखते हैं। आंख के सामने थोड़ी दूरी तक ब्लैक स्पॉट होता है, सफेद और चमकदार रंग को स्पष्ट देखते हैं। घुड़सवार इन आदत-स्वभाव का अध्ययन कर राइडिंग के दौरान इसे जेहन में भी रखते हैं।

प्रतियोगिता के अनुरूप घोड़े का स्तर

घोड़ों की ट्रेनिंग और स्तर प्रतियोगिता के अनुरूप तय होता है। प्री-नोविस, नोविस, इवेंटिंग, वन, टू, थ्री, फोर या फाइव स्टार, एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, ओलंपिक्स आदि खेलों के अनुरूप घोड़ों को ग्रेड मिलता है।

इन्‍होंने बताया

हर राइडर के लिए हॉर्स साइकोलॉजी पढ़ना अनिवार्य है। जो घोड़ों को जितना बेहतर समझता है, वह उतना ही सफल होता है। प्रतिस्पर्धा में केवल जंप और रफ्तार ही नहीं बल्कि घोड़े व राइडर के बीच तालमेल भी परखा जाता है।

- कर्नल दुष्यंत बाली, जज अंतरराष्ट्रीय घुड़सवारी संगठन

दुनियाभर में इशारों की भाषा एक जैसी

घोड़े और घुड़सवार के बीच बातचीत और इशारों की भाषा पूरी दुनिया में एकसमान है। राइडर घोड़े को जोर की आवाज देने के साथ ही जूते से एड़ लगाते हैं। उसी से घोड़े समझते हैं कि उन्हें कब, कितनी रफ्तार बढ़ानी है। कितनी ऊंची या लंबी छलांग लगानी है। इन इशारों को समझकर ही घोड़ा उम्दा प्रदर्शन करता है। 


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