एस्केलेटर नाम, लिफ्ट दिखावे और वाटर एटीएम खुद प्यासे
सिटी रेलवे स्टेशन इन दिनों अजब हाल से जूझ रहा है। कभी अचानक ट्रेनें रद कर दी जाती और लोग परेशान होते हैं।
मेरठ । सिटी रेलवे स्टेशन इन दिनों अजब हाल से जूझ रहा है। कभी अचानक ट्रेनें रद कर दी जाती हैं तो यात्री सुविधा और सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। ए-वन का दर्जा रखने वाला सिटी स्टेशन पर आज ट्रेनें रद-रद खेल रही हैं।
सिटी स्टेशन का हाल किसी हॉल्ट सरीखा हो चला है। ट्रेनें रद होना तो जैसे आम हो। वहीं, यात्रियों की सुरक्षा से लेकर सुविधा तक राम भरोसे है। मंगलवार को सिटी स्टेशन पर खुलेआम आवारा कुत्ते घूम रहे थे। वहीं, यात्री बेरोकटोक और बेखौफ ट्रैक पर आवाजाही कर रहे थे। आरपीएफ की जिम्मेदारी स्टेशन पर यात्रियों को ट्रैक पार जाने से रोकने की है। लेकिन आरपीएफ ने मुद्दत से ट्रैक पार करने वाले यात्रियों को पकड़ने का अभियान नहीं चलाया।
एस्केलेटर जाम और हवा में लिफ्ट
बुजुर्ग और बीमार यात्रियों के लिए लगाए गए एस्केलेटर तीन जनवरी से जाम हैं। वहीं, इतने ही समय से लिफ्ट भी हवा में लटकी है। दोनों को आखिरी बार पैसेंजर सर्विस कमेटी के चेयरमैन रमेश चंद रतन के सिटी स्टेशन पर निरीक्षण के समय चलाया गया था। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने जब दूसरे एस्केलेटर का शिलान्यास करते वक्त पहले से लगे एस्केलेटर-लिफ्ट नहीं चलने का कारण पूछा तो अधिकारियों ने कर्मचारियों के नहीं होने की बात कही थी। स्टेशन पर लगे वाटर एटीएम भी खराब पड़े हैं। यात्रियों को सार्वजनिक प्याऊ से ही पानी पीना पड़ रहा है। स्टेशन पर स्वच्छता है और न स्वच्छता के स्लोगन। कहीं पानी बिखरा है तो कहीं पॉलीथिन के ढेर लगे हैं। रोडवेज बसों ने सड़कों पर बना लिया है अड्डा
मेरठ । सेटलाइट बस अड्डे का प्रस्ताव अधर में है और शहर की जनता जाम से त्रस्त है। रोडवेज बस चालक किसी नियम का पालन करने को तैयार नहीं है। भैंसाली और सोहराब गेट डिपो के सामने से सड़कों पर बसें खड़ी होकर यात्रियों को बैठाती देखी जा सकती है। सबसे बुरी हालत भैंसाली में है। यहां पर बसें सड़क पार क्रास कर बस अड्डे में प्रवेश करने में ही पांच से दस मिनट ले लेती हैं। जिससे सड़कों पर जाम लग जाता है। कभी कभी तो पांच छह बसें एक साथ कतार बना कर प्रवेश करती हैं। जिससे दो ओर लंबा जाम लग जाता है। बीसियों वाहन जाम में फंस जाते हैं।