Elephant project: हाथियों के लिए जंगल में भरपूर भोजन की तैयारी, 15 हेक्टेयर में रोपे गए हैं बांस और शीशम
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व वन रेंज में जंगली हाथियों के चारे (भोजन) के लिए एलीफेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 15 हेक्टेयर पर विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गए हैं।
बिजनौर, जेएनएन। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व वन रेंज में जंगली हाथियों के चारे (भोजन) के लिए एलीफेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 15 हेक्टेयर पर विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गए हैं। यह पौधे पांच वर्ष में तैयार हो जाएंगे। इसके चलते हाथियों के चारे के लिए कोई कमी नहीं रहेगी। हाथियों के वन क्षेत्र से बाहर निकलने में भी कमी आएगी।
हाथियों के चारे के लिए वन विभाग ने अमानगढ़ टाइगर रिजर्व वन रेंज में एलीफेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत कुल 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बांस, शीशम, जामुन आदि प्रजाति के पौधे रोपे हैं। इसमें कक्ष संख्या-15 में पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल एवं कक्ष संख्या-21 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल शामिल है। वन विभाग को क्षेत्रीय लोगों से आए दिन शिकायतें मिल रहीं थी कि जंगली हाथी बस्ती में घुसते हैं और फसल चौपट कर देते हैं। इसी के चलते वन विभाग ने यह कदम उठाया है। यह पौधारोपण जुलाई में किया गया है। पौधों की पूरी तरह से देखभाल की जा रही है। वन क्षेत्राधिकारी राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि एलीफेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हाथियों के चारे के लिए यह पौधारोपण किया गया है। उन्होंने बताया कि यह पौधे पांच वर्ष बाद हाथियों के चारे के लिए तैयार हो जाएंगे। इससे वन क्षेत्र में हाथियों के चारे की कमी नहीं रहेगी।
आबादी क्षेत्र में पहुंचाते हैं नुकसान
पिछले कुछ समय से 8 हाथियों को वन क्षेत्र में पर्याप्त भोजन न मिलने से वे आबादी की ओर आने लगे हैं। इनमें इक्कड़ हाथी भी होते हैं, जो गांवों में उत्पात मचाते हुए फसलों को भारी नुकसान पहुंचा देते हैं। अब विभाग ने एलीफेंट प्रोजेक्ट तैयार किया है। इससे हाथियों के खाने की व्यवस्था होने से उनका आबादी ओर आने पर अंकुश लग सकेगा।
एक सप्ताह पूर्व गांवों में किया था नुकसान
एक सप्ताह पूर्व वन क्षेत्र से निकलकर हाथियों का झुंड गांव गादला में घुस आया था। हाथियों ने गांव निवासी सरदार सतनाम सिंह, नजाकत घोसी आदि किसानों की धान की फसल नष्ट कर दी थी। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत विभागीय अफसरों से भी की थी। आए दिन वन क्षेत्र से सटे गांवों में जंगली हाथी घुस आते हैं। इससे ग्रामीणों में भी भय बना रहता है।