निगम के हवाले हुईं मेरठ विकास प्राधिकरण की आठ कॉलोनी Meerut News
एमडीए की आठ कालोनियों को नगर निगम के हवाले बुधवार को कर दिया गया। एमडीए वीसी व नगर आयुक्त की अध्यक्षता में दोनों विभागों के अधिकारी व इंजीनियरों ने बैठक की।
मेरठ, जेएनएन। एमडीए की आठ कॉलोनियां बुधवार को नगर निगम को हस्तांतरित कर दी गईं। अब ये कॉलोनियां नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आ गई हैं।
एमडीए सभागार में शाम को एमडीए वीसी राजेश पांडेय व नगर आयुक्त डा. अरविंद कुमार चौरसिया की अध्यक्षता में दोनों विभागों के अधिकारी व इंजीनियरों ने बैठक की। विचार-विमर्श व खर्च आकलन पर अंतिम चर्चा के बाद आठ कॉलोनियों की हस्तांतरण फाइल पर दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के हस्ताक्षर हो गए। इनमें से कुछ कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनके कुछ पॉकेट पहले से ही नगर निगम के पास थे, लेकिन जो पॉकेट पूर्व में हस्तांतरित नहीं हो पाए थे, उन्हें अब किया गया है। उधर, इन सभी आठ कॉलोनियों का सीवर अभी नगर निगम को नहीं दिया गया है। नगर निगम के जल-कल अनुभाग ने जो सीवर सफाई का खर्च आकलन रखा था उसे एमडीए ने स्वीकार नहीं किया है। वहीं दूसरी तरफ यह भी बात सामने आई कि सरकार की एक योजना प्रस्तावित है जिसके तहत शहर में सीवर व एसटीपी एक ही संस्था संचालित करेगी। कॉलोनियां भले ही किसी सरकारी उपक्रम की हों। ऐसे में जल-कल अनुभाग अब इन सीवरों के लिए फिर से प्रस्ताव तैयार करेगा। वहीं, दूसरी तरफ सरकारी योजना का इंतजार भी किया जाएगा। बैठक में एमडीए के चीफ इंजीनियर दुर्गेश श्रीवास्तव, अधीक्षक अभियंता पीपी सिंह, नगर निगम के चीफ इंजीनियर यशवंत कुमार व अधिशासी अभियंता नीना सिंह आदि मौजूद रहे।
शताब्दीनगर और लोहियानगर मार्च तक हो जाएंगी हस्तांतरित
दिल्ली रोड स्थित शताब्दीनगर व हापुड़ रोड स्थित लोहिया नगर कॉलोनी अभी हस्तांतरित नहीं हो सकी है। इन दोनों के खर्च आकलन पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। यहां पर काफी कार्य होना है। इसलिए उम्मीद है कि इनका हस्तांतरण मार्च तक हो पाएगा। शताब्दीनगर में किसानों का मुआवजा प्रकरण फंसा हुआ है और लोहिया नगर में बुनकर क्लस्टर का प्लॉट का मामला है। सूत्रों ने बताया कि दोनों जगह विवाद होने की वजह से नगर निगम ने हस्तांतरण को आगे खिसका दिया है।
वर्षो पहले विकसित हुई थीं एमडीए की ये कॉलोनियां
एमडीए ने शहर में विभिन्न कॉलोनियां विकसित करने के लिए 1985, 87 व 90 में भूमि अधिग्रहण किया था। इसके बाद कुछ ही कॉलोनियां विकसित की गई। तब से लेकर अब तक कॉलोनियों का हस्तांतरण नहीं हो सका था। बहरहाल, गंगानगर, श्रद्धापुरी, डिफेंस एन्क्लेव के कुछ पॉकेट हैंडओवर हो गए थे। पल्लवपुरम फेस-वन व फेस-दो भी एमडीए ने विकसित किया था, ये भी कई साल पहले हस्तांतरित कर दी गई थी।
प्रभारी मंत्री की किक से दौड़ी क्रियान्वयन की पत्रवली
वैसे तो वर्तमान वीसी राजेश पांडेय पिछले छह माह से इसके लिए प्रयासरत थे। कमिश्नर अनीता सी मेश्रम भी कई बार नगर निगम को निर्देशित कर चुकी थीं। वर्तमान नगर आयुक्त अरविंद कुमार चौरसिया भी शुरू से ही सकारात्मक रहे फिर भी अंतिम दौर में आंकलन की बात आने पर हस्ताक्षर नहीं हो पा रहे थे, लेकिन दो दिन पहले प्रभारी मंत्री ने दोनों अधिकारियों को निर्देश देकर तुरंत कॉलोनी हस्तांतरित करने का निर्देश दिया था। यह भी कहा था कि आंकलन बाद में करते रहें पहले हस्तांतरण करें। इसका असर यह रहा कि बुधवार को दोनों विभागों ने इसे अंजाम तक पहुंचा दिया।
इन कॉलोनियों का सीवर अभी नहीं सौंपा गया
वीसी राजेश पांडेय ने जानकारी देेेेते हुए कहा कि छह माह से चल रहा प्रयास आखिरकार सफल हुआ। वर्षो पहले जिन कॉलोनियों का हस्तांतरण हो जाना चाहिए था उन्हें अब कर लिया गया है। इससे मूलभूत सुविधा मिलने व स्मार्ट सिटी का पर्याप्त फायदा मिलने का अवसर मिलेगा। एमडीए का इनके रख-रखाव का खर्च बचेगा। वहीं नगर निगम की भी आय बढ़ेगी। शताब्दीनगर व लोहियानगर का भी जल्द हस्तांतरण कराया जाएगा।
ये कॉलोनियां हुईं हस्तांतरित
गंगानगर, रक्षापुरम, वेदव्यासपुरी, मेजर ध्यानचंद नगर, श्रद्धापुरी, सैनिक विहार, पांडव नगर, डिफेंस एन्क्लेव।