भोले के भक्तों के लिए ईको-फ्रेंडली शिविर
कांवड़ शिविर सिर्फ भगवान भोले के प्रति श्रद्धा ही समर्पित नहीं कर रहे हैं बल्कि सामाजिक संदेश के वाहक भी बन रहे हैं। अधिकांश शिविरों में पॉलीथिन, डिस्पोजेबल गिलास और प्लास्टिक की थाली का प्रयोग नहीं हो रहा है।
जागरण संवाददाता, मेरठ : कांवड़ शिविर सिर्फ भगवान भोले के प्रति श्रद्धा ही समर्पित नहीं कर रहे हैं बल्कि सामाजिक संदेश के वाहक भी बन रहे हैं। अधिकांश शिविरों में पॉलीथिन, डिस्पोजेबल गिलास और प्लास्टिक की थाली का प्रयोग नहीं हो रहा है। कांवड़ियों को जूट के बैग का वितरण भी किया जा रहा है।
बाईपास पर रोहटा रोड के पास शिव सेवा कांवड़ संघ का शिविर हो या फिर जेल चुंगी स्थित व्यापार संघ का कांवड़ शिविर। यह तो महज बानगी भर है। शहर के अधिकांश शिविरों में प्लास्टिक की थाली और डिस्पोजेबल गिलास का प्रयोग बंद कर दिया गया है। प्लास्टिक की थाली की जगह पत्तल या फिर कागज की थाली का प्रयोग किया जा रहा है। डिस्पोजेबल गिलास की जगह स्टील का गिलास दिया जा रहा है। दोने व प्लेट भी कागज के प्रयोग में लाए जा रहे हैं। रोहटा रोड के पास शिविर संचालक राजेश त्यागी व जेलचुंगी के पास शिविर संचालक सुबोध बंसल ने बताया कि पॉलीथिन व प्लास्टिक का प्रयोग शिविर में नहीं किया जा रहा है।
उधर, जेलचुंगी स्थित शिवसेवा कांवड़ संघ की ओर से कांवड़ियों को जूट के बैग का वितरण किया गया। इसका मकसद कांवड़ियों के जरिए पॉलीथिन के विरोध का संदेश पहुंचाना है। इसमें सुबोध बंसल, वरुण गोयल, धर्मपाल, शिवा, गौरीशंकर, सोमनाथ, सुरेश बत्रा, एसके शर्मा, विपुल सिंघल आदि सहयोग कर रहे हैं।
कंपनी बाग चौराहे पर केंद्रीय विद्यालय, सिख लाइंस के छात्र-छात्राओं ने कांवड़ियों को कपड़े के थैले वितरित किए। बेटी बचाओ-पेड़ लगाओ अभियान के तहत जागरूकता रैली निकाली। कार्यक्रम संयोजक निरुपम कुमार गुप्ता ने बताया कि पॉलीथिन खतरनाक चुनौती है। केंद्रीय विद्यालय हमेशा से सामाजिक दायित्वों को निभाने में आगे रहा है। प्राचार्य डा. दिवाकर सिंह, आरएस यादव, सिम्मी सिंह, अरुणा भारती, कुसुमलता, विकास कुमार, अभिषेक, जितेंद्र कुमार, मनोज शर्मा आदि का सहयोग रहा।