लॉकडाउन में प्रदेश भर में सिर्फ इतने फीसद फीस ही हो पाई जमा, स्कूलों के सामने आर्थिक संकट
प्रदेश भर के स्कूल फेडरेशनों ने लखनऊ में बैठक की। शिक्षकों को कोरोना वॉरियर्स का दर्जा देने की मांग।
मेरठ, जेएनएन। प्रदेश के स्कूल फेडरेशनों का कहना है कि कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर में केवल शून्य से 30 फीसद तक ही फीस जमा हुए हैं। ऐसे में स्कूलों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होने से इनमें कार्यरत हजारों शिक्षक अब बेरोजगारी के मुहाने पर खड़े हो सकते हैं। सरकार ने स्कूलों की फीस जमा किए जाने संबंधी अब भी कोई निर्देश नहीं जारी किए तो सैकड़ों की संख्या में स्कूल बंद हो जाएंगे। शुक्रवार को अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन यानी यूपीएसए, कांफेडरेशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स यानी सीआइएस और पूर्वांचल स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने लखनऊ में संयुक्त बैठक कर सरकार के समक्ष अपनी मांगों को रखा।
सभी नियम मानें, फिर भी फीस नहीं
स्कूलों के अनुसार सरकार द्वारा जारी निर्देशों में एक-एक महीने की फीस लेना, ट्रांसपोर्ट चार्ज न लेना, इस सत्र में पिछले सत्र की ही फीस लेना, फीस न देने पर भी किसी छात्र को न स्कूल से निकालना और न ही ऑनलाइन क्लास या टेस्ट से वंचित रखना आदि निर्देशों का पालन करने के बाद भी स्कूलों को फीस नहीं मिल रही है। प्रदेश के अधिकतर शहरों में फीस मिलना शुरू भी नहीं हुआ हैे। जबकि स्कूलों के खर्च में शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, पानी का बिल, गृह कर, लोन की किश्त आदि बदस्तूर जारी हैं।
स्कूलों ने इन बिंदुओं पर रखी बात
- शिक्षकों एवं छात्रों को ऑनलाइन शिक्षण के लिए प्रशिक्षित करना।
- ऑनलाइन क्लास संचालित कराने के प्रयासों को जारी रखना।
- शिक्षकों को भी कोरोना वॉरियर्स नामित कर उचित मान्यता देना।
- लॉकडाउन 31 मई तक समाप्त हो चुका और अब अनलॉक-वन में लोग काम पर लौेटने लगे हैं।
- अब बच्चों के माता-पिता धीरे-धीरे फीस देने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
- अब अप्रैल से देना शुरू करेंगे तो आने वाले महीनों में थोड़ा-थोड़ा कर देते रहेंगे।
- सरकार द्वारा तीन महीने की फीस माफी की भ्रामक अफवाह फैलाने वालों पर रोक लगे।
- सरकार की ओर से न पहले न ही अब फीस माफी का कोई आदेश जारी हुआ है।
- शिक्षकों को बेरोजगारी से बचाने को सरकार अभिभावकों को फीस जमा करने का आदेश दे।