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मुआवजा नहीं मिलने पर किसानों ने रुकवाया एक्सप्रेस-वे का काम

मेरठ । दिल्ली-मेरठ-डासना एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि के मुआवजे की मांग को ले

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 05:00 AM (IST)
मुआवजा नहीं मिलने पर किसानों  ने रुकवाया एक्सप्रेस-वे का काम
मुआवजा नहीं मिलने पर किसानों ने रुकवाया एक्सप्रेस-वे का काम

मेरठ । दिल्ली-मेरठ-डासना एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने मंगलवार को काम रुकवा दिया। घंटों चले हंगामे के बाद पुलिस ने समझा-बुझाकर धरना समाप्त कराया।

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एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए काशी व सोलाना समेत कई गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। काशी गांव के आठ परिवारों के पट्टे भी अधिग्रहित किए गए हैं। किसानों का आरोप है कि एक्सप्रेस-वे के लिए उनकी जमीन तो ले ली गई है, लेकिन अभी तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया। सभी किसानों के पास अपनी अपनी जमीन दस्तावेज हैं। इसके बाद भी उन्हें आए दिन आश्वासन की रेवड़ी बांटी जा रही है। आश्वासन से क्षुब्ध होकर किसान एक्सप्रेस-वे पर पहुंच गए और निर्माण कार्य रुकवाकर धरने पर बैठ गए। वहां मिट्टी डाल रहे ठेकेदार ने परतापुर थाना पुलिस बुला ली। पुलिस से भी किसानों की नोकझोंक हुई। काफी समझाने के बाद किसानों ने चेतावनी दी कि यदि दो दिनों के अंदर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे। किसान मुन्ना ने बताया कि काशी गांव के किसानों का करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये मुआवजा बनता है। इस दौरान जमील, मुन्ना, सलीम, सलीमुद्दीन, नईमुद्दीन, देवी सिंह, धर्मी, सबीबउल्लाह, जितेंद्र आदि किसान शामिल रहे। दूसरी ओर सोलाना गांव के किसानों ने भी मुआवजा नहीं मिलने पर विरोध जताया। उन्होंने भी काम रुकवाया। वहां भी पुलिस ने समझा-बुझाकर किसान शांत कर दिए। परतापुर इंस्पेक्टर नीरज मलिक का कहना है कि काम शुरू करा दिया गया है। बालकों को संरक्षण देने हेतु संस्थाओं का पंजीकरण जरूरी

मेरठ । जिला प्रोबेशन अधिकारी व जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता ने बताया कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियिम 2015 की धारा 41 की उपधारा (एक) के अंतर्गत राज्य सरकार व स्वैच्छिक संस्थाओं को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। 11 फरवरी तक सभी संस्थाएं कार्यालय आकर पंजीकरण करा लें। बिना पंजीकरण संचालित संस्थाओं के विरुद्ध किशोर न्याय अधिनियिम 2015 की धारा 42 के तहत कार्रवाई की जाएगी।


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